कई लेखकों के लिए, पुस्तक पहला प्रारूप लिखना केवल एक प्रारंभिक चरण है। इससे पहले कि पुस्तक पाठकों की दृष्टि में आए उन्हें कई प्रारूप लिखने पड़ते हैं। सामान्यतः दूसरा प्रारूप वह स्थान है जहाँ पर यह कठिन होना आरंभ करता है। आप पहले प्रारूप की खराब गुणवत्ता के साथ बच कर निकल सकते हैं (वास्तव में, कई लेखकों का पहला प्रारूप सामान्य स्तर से नीचा होता है और वह कभी प्रत्यक्ष नहीं होता), परंतु एक बार जब आप इसे पुनः लिखना आरंभ करते हैं, आपको तकनीकी और उसके साथ-साथ सृजनशील पहलुओं पर भी ध्यान देना आरंभ करना पड़ता है। अपनी पुस्तक का दूसरा प्रारूप कैसे लिखें, इसके लिए यहाँ कुछ गुर दिए गए हैं:
कुछ समय बीतने दीजिए
अपना पहला प्रारूप समाप्त करने के तुरंत बाद सीधे पुनः प्रारूप लिखना आरंभ कर देना अत्यंत लोभनीय प्रतीत हो सकता है, विशेष रूप से यदि आप उस प्रकार के व्यक्ति हैं, जो रुका हुआ काम अपने सर पर बोझ बना कर रखने से घृणा करता है, परंतु धैर्य रखिए और कार्य आरंभ करने से पहले कुछ विश्राम कीजिए। यह इसलिए कि, शब्द और अवधारणाएँ अभी भी अपके मस्तिष्क में तरोताजा हैं, इसलिए आप वैसी चीजें देखना आरंभ कर सकते हैं, जो पहले वहाँ नहीं थी। यदि आप पहले प्रारूप के बाद कुछ अवकाश लें, तब वापस जाने पर आपकी दृष्टि अधिक पैनी रहेगी। इससे आप अपने पाठ्य में संरचनात्मक एवं सृजनात्मक गलतियाँ पा सकते हैं।
शब्द-गणना पर ध्यान नहीं दीजिए
लिखने के गुरों पर अधिकांश निबंध आपसे कहेंगे कि प्रत्येक विधी के लिए एक “आदर्श” शब्द-गणना है। इस पर नहीं है। यदि आपका दूसरा प्रारूप अतिशयोक्तिपूर्ण ढंग से लंबा या मूर्खतापूर्ण ढंग से छोटा है, तब भी आप ठीक कर रहे हैं। शब्द-गणना पर आसक्त नहीं होइए और यदि आवश्यकता है, तब आगे बढ़िए और विस्तार कीजिए, या इस अत्यंत लंबी कहानी को छोटी कीजिए। जब तक आप कृति को सत्यनिष्ठ रखते हैं, दूसरे प्रारूप पर काम करते हुए शब्द-गणना पर चिंतित होने की अधिक आवश्यकता नहीं है।
अपने नोट्स फिर देखिए
यदि आप उस तरह के लेखक हैं जो लिखते समय अलग नोट्स रखते हैं, तब उन्हें फेंकिए नहीं। दोबारा प्रारूप लिखते समय उन्हें पहुँच के अंदर रखिए। इसका कारण यह है कि आपको पहले प्रारूप पर अनासक्त आँखों से देखने की आवश्यकता है, इसलिए ऐसे संयोग हो जाते हैं कि आप कुछ ऐसी अवधारणाओं को छोड़ देते हैं जिन्हें आप पहले लक्ष्य कर रहे थे। इसलिए यदि देखने के लिए नोट्स हों, तब देख सकते हैं कि कुछ ऐसी अवधारणाएँ तो नहीं हैं जिन्हें आप छोड़ रहे हैं, या आप कुछ ऐसे संपादन करना चाहते हैं जो आपके मौलिक परिकल्पना को प्रभावित करेगा।
पाठकों की प्रतिपुष्ठि के लिए चौकस रहें
याद रखने के लिए अंतिम चीज है अपनी आँखों से चौकन्ना रहना। यदि आपको अनुभव होता है कि आपका पहला प्रारूप पहले से ही अति उत्तम है और प्रकाशित होने के लिए तैयार है, तब एक बाहरी परिप्रेक्ष्य लीजिए – उदाहरण के लिए, परिवार के सदस्य, जो पढ़ना पसंद करते हैं। परंतु उनसे यह स्पष्ट करना सुनिश्चित कीजिए कि वे प्रारूप को पाठकों के रूप में देख रहे हैं, संपादक के रूप में नहीं। यदि वे समझते हैं कि आप उन्हें किसी संपादक की दृष्टि से प्रारूप की जाँच करने के लिए कह रहे हैं, तब वे भिन्न प्रकार की प्रतिपुष्टि देंगे। और कभी-कभी वे आपकी कृति का संपादन करने की योग्यता नहीं रखते (जबतक वे वृत्ति से सचमुच के संपादक नहीं हैं, और इस स्थिति में आपको उन्हें भुगतान करना चाहिए।)
[author] [author_image timthumb=’on’]https://writingtipsoasis.com/wp-content/uploads/2014/01/hv1.jpg[/author_image] [author_info]Hiten Vyas is the Founder and Managing Editor of Writing Tips Oasis. [/author_info] [/author]