भाषा पर अच्छा नियंत्रण होने के बावजूद, नौसिखिए लेखकों मे अंतर्मुखी बनने तथा सामान्यतः बढ़िया संवादपटु नहीं बनने की प्रवृत्ति होती है। यह स्वाभाविक है और इसमें वास्तव में आश्चर्य करने की कोई बात नहीं है, परंतु सोशल मीडिया की इस अवधि में लेखकों को वास्तव में यह सीखने की आवश्यकता है कि संवाद कैसे आरंभ किया जाए और कैसे इसे जारी रखा जाए – चाहे यह लिखित हो या मौखिक। यदि आप लेखकों की उस श्रेणी में पड़ते हैं जिन्हें अब भी बेहतर संवादपटु बनने की आवश्यकता है, तब यहाँ 5 गुर दिए गए हैं जिन्हें मन में धारण करने की आवश्यकता है:
1. प्रश्न पूछते हुए संवाद पर नियंत्रण रखिए
जब संवाद की बात आती है तब वार्ता-प्रवाह साधारणतः प्रश्न पूछने वाले व्यक्ति की दया पर निर्भर करता है। आप वही व्यक्ति बन जाइए और वार्ता जारी रखना आपको आसान लगेगा – क्योंकि यह किस ओर जा रही है इस पर आपके नियंत्रण का आभास रहेगा। केवल यह सुनिश्चित कीजिए कि इसके बदले कि आप प्रश्नों की झड़ी लगा दें जिनका उत्तर हाँ या ना में दे कर रफा किया जा सकता है, आप समय-समय पर अर्थपूर्ण प्रश्न पूछ रहे हैं।
2. जानिए कि आप किस संबंध में बातें कर रहे हैं
यदि कोई व्यक्ति नहीं जानता कि वह क्या कह रहा है, तब इससे शीघ्र वार्ता समाप्त करने वाला और कुछ भी नहीं है। इसलिए, यदि आप कभी भी बढ़िया संवादपटु बनने की योजना बनाते हैं, तब यह सुनिश्चित कीजिए कि कम-से-कम, किसी विषय का नियंत्रण लेने से पहले उस पर आपको पर्याप्त ज्ञान है। कैसे और क्यों का उत्तर देने के लिए तैयार रहिए।
3. संवाद खुला रखिए
संवाद दोनों ओर से होते हैं, इसलिए आपको अपने प्रश्न और कथन पर्याप्त खुले रखने चाहिए जिससे अन्य व्यक्ति (या लोग) इसमें भाग ले सकें और अपने विचारं का साझा कर सकें; कुछ उपायों से, खुला प्रश्न किसी संवाद को शीघ्र समाप्त होने से रोकता है।
4. दूसरे पक्ष में वास्तव में रुचि लीजिए
यह महत्वपूर्ण है। इस पर ध्यान नहीं देते हुए कि आप सहमत होते हैं या नहीं, आपको वास्तव में इसमें दिलचस्पी लेनी चाहिए कि दूसरा पक्ष क्या कह रहा है। इसके दो कारण हैं: पहला, यदि आप रुचि नहीं लेते (अवचेतन रूप से भी), तब इसकी अधिक संभावना है कि आप चाहेंगे कि यह समाप्त हो जाए और दूसरा, दूसरा व्यक्ति अनुभव कर सकता है कि अन्य पक्ष रुचि नहीं ले रहा है। यदि दूसरा व्यक्ति समझ जाता है कि आप वास्तव में उतनी रुचि नहीं ले रहे हैं तब वार्ता जल्द समाप्त हो जाती है।
5. उपाय ढूँढ़िए कि अन्य पक्ष का मनोरंजन होता रहे
आप यह रहस्य जानना चाहते हैं कि कैसे कुछ लोगों को (इसके बावजूद कि दोनों ज्ञानी वक्ता हैं) मनभावन होने का यश मिलता है और दूसरों पर उबाऊ होने का ठप्पा लग जाता है? ऐसा इसलिए है कि मनभावन व्यक्ति अपर पक्ष का मनोरंजन करते रहने का उपाय ढूँढ़ लेते हैं। इसका अर्थ है नमनीय और चौकस रहना, जिससे आप यथासमय हास-परिहास करते हुए और यह पहचान करते हुए कि औपचारिक बने रहने का समय कब समाप्त होता है सारे “वाक-अवरोध समाप्त” कर सकें।
अंत में, लेखकों को याद रखना चाहिए कि बढ़िया संवादपटु होना आपकी लिखित कृतियों में भी परिलक्षित होता है। आखिकार, तकनीकी दृष्टि से, पाठक जितनी बार आपकी पुस्तक पढ़ते हैं, प्रत्येक बार आप उनके साथ संवाद करते हैं। यदि आप अच्छे संवादपटु नहीं हैं, तब यह आपके मूलपाठ में दृष्टिगोचर होगा और आपकी पुस्तक उबाऊ और एक-तरफा होगी। यदि आप उपयोक्ता मैनुअल या कानूनी कागजात लिख रहे हैं तब तो यह चलता है, परंतु बाकी के लिए, यदि आप चाहते हैं कि पुस्तक-दुकानों की अलमारियों में आपकी पुस्तकों पर धूल नहीं जमे आपको अपना संवाद परिमार्जित करने के लिए अभ्यास करना शुरु करना पड़ेगा।
[author] [author_image timthumb=’on’]https://writingtipsoasis.com/wp-content/uploads/2014/01/hv1.jpg[/author_image] [author_info]Hiten Vyas is the Founder and Managing Editor of Writing Tips Oasis. [/author_info] [/author]