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5 पर्यावरण संरक्षण पर निबंध

जुलाई 27, 2017 By Shailaja Vyas Leave a Comment

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध की श्रृंखला के अंतर्गत हम पर्यावरण से जुडी परिभाषा, समस्या एवं निदान पर पाँच चयनित निबंधों द्वारा चर्चा करेंगे | ये तो हम सभी जानते है कि पर्यावरण संरक्षण एक ज्वलंत समस्या है | इसके निराकरण हेतु विश्व के प्रत्येक व्यक्ति को हर संभव प्रयास करने चाहिए | तदर्थ कतिपय लेखकों के निबंध प्रस्तुत हैं |

 

1. पर्यावरण संरक्षण क्यों आवश्यक हैं

निबंध :  पर्यावरण सुरक्षा बेहतर कल के लिए   

लेखिका : हेमलता सिंघल

परिचय : उपलब्ध नहीं

स्त्रोत : राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान की पत्रिका “जल चेतना”, जुलाई 2013

लेखिका  ने उल्लेख किया है कि वायुमंडल प्रकृति और वातावरण यह तीनों पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं और स्वभावगत निर्मल होते हैं  । यदि किसी कारणवश ये  प्रदूषित हो जाते है  तो इसके  कई खतरे उत्पन्न हो जाते हैं  इसके दुष्परिणाम  मनुष्य के साथ -साथ उसकी भावी पीढी को भी भुगतने पड़ते हैं ।

जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और  ध्वनि प्रदूषण तीनो प्रकार समझाते हुए लेखिका ने इनसे बचने हेतु उपाय सुझाए है। उनका कहना है कि सभी प्रकार के प्रदूषणों से बचने के लिए उचित दिशा में कदम उठाए जाएं तो यह एक सार्थक पहल होगी। उनका मानना है कि जंगलों के कटाव को कम करने के लिए छोटे-छोटे गांव को प्लेन में विस्थापित किया जाना चाहिए । जनाधिक्य को रोकने के प्रयास करने होंगे। अंत मे कविता की चार पंक्तियां लिखकर लेख को पूर्ण कर दिया गया है |

 

2. पर्यावरण संरक्षण नहीं किया गया तो क्या दुष्परिणाम भुगतने पड़ेंगे

निबंध : पर्यावरण रक्षा  

लेखक : पंकज कुमार

परिचय : लेखक ब्लॉगर, लेखक एवं संपादक है | बेहतर लाईफ डॉट कॉम मे ब्लॉग लिखते है |

लेखक ने पर्यावरण संरक्षण का तात्पर्य समझाते हुए बताया है कि वह क्यों जरूरी है | स्कॉटलैंड के वैज्ञानिक रॉबर्ट चेंबर द्वारा वनों के नष्ट होने पर जो दुष्परिणाम सामने आएंगे उसका जिक्र किया है | वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसानों का भी लेने ब्यौरा दिया है । लेखक ने बताया है कि ऋषि-मुनियों ने अपने आसपास सुचारूरूपेण वृक्ष लगाने की परंपरा का निर्वहन किया । पर्यावरण के सौन्दर्य का महत्व सदैव बना रहे इसके लिए धर्म शास्त्रों ने भी तुलसी, आंवला और पीपल आदि वृक्षों को देवताओं की संज्ञा प्रदान की |

 

3. पर्यावरण संरक्षण के परिपेक्ष्य मे भारत की स्थिति का वर्णन निम्नलिखित निबंध में विशेष रूप से किया गया हैं

निबंध : पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी है जन भागीदारी          

लेखक : आशीष वशिष्ठ

परिचय : उपलब्ध नहीं

लेखक ने इस लेख मे वैज्ञानिक आइंस्टीन के मत को प्रस्तुत किया है कि “ दो चीजें असीमित हैं−एक ब्रह्माण्ड तथा दूसरी मानव की मूर्खता |”  पर्यावरण प्रदूषण एक अहम् समस्या है। इसे मिटाने हेतु सबको प्रयास करने होंगे | केवल  दंड संहिता से ही सुधार संभव नहीं |  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात के 20वें संस्करण में वर्तमान जल समस्या के लिए जन भागीदारी का आह्वान किया है । आगे लेखक ने प्रकृति के प्रत्येक कार्य व्यवस्थित और स्वचालित मानते हुए उसे निर्दोष माना है |  अपनी अविवेकी बुद्धि के कारण मनुष्य ही अपने आपको प्रकृति का अधिष्ठाता मानने की भूल करने लगा  जिससे प्रकृति के कार्यो में बाधाएँ उत्पन्न होने लगी | गंगा−गंदी हो गई है,  म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट (नगरीय ठोस अपशिष्ठ) कानून में भी कठोर दंड के बावजूद महानगरों में गंदे कचरों के पहाड़ प्रकट हो गए किन्तु सफलतापूर्वक प्रदूषण नियंत्रित किया जा सके  इस हेतु कोई ठोस कदम नहीं दिखाई पड़ता | आगे “चीन” का उल्लेख करते हुए लेखक ने कहा कि अभी भारत मे ऐसी भयावह स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है | मनुष्य की जीवन शैली में परिवर्तन और पिछले 100−150 वर्षों के वैज्ञानिक विकास ने पर्यावरण को तहस−नहस किया है। प्रदूषणों के लिए जिम्मेदार हमारी नीयत रही है। नीति की बातें सभी ने की हैं, व्यवहार में किसी ने नहीं उतारा | बीमार व्यक्ति का उदाहरण देकर लेखक ने दूषित स्थिति का उपचार करने की बात कही है | रूसो का कथन है कि हमें आदत न डालने की आदत डालनी चाहिए। रूसो ने भी प्रकृति की ओर लौटने का आह्वान आज से 300 वर्ष पूर्व किया था। पर्यावरण संरक्षा के लिए देश में 200 से भी ज्यादा कानून हैं | यह एक कानूनी मुद्दा अवश्य है, किन्तु इसे सर्वाधिक रूप से शुद्ध एवं संरक्षित रखने के लिए समाज के सभी अंगों के मध्य आवश्यक समझ एवं सामंजस्य स्थापित होना आवश्यक है | इसके लिए सामाजिक जागरूकता की जरूरत है ताकि सुन्दर परिवार के साथ सुन्दर पर्यावरण बन सकें |l

 

4. पर्यावरण संरक्षण को मानवीय संवेदना से जोड़ना आवश्यक है 

निबंध : पर्यावरण संरक्षण सर्वोत्तम मानवीय संवेदना

लेखक : सुशीलकुमार शर्मा

परिचय : आप शासकीय आदर्श  उच्च माध्य विद्यालय मे वरिष्ठ प्राध्यापक है |

इसके अंतर्गत लेखक ने पर्यावरण संरक्षण को मानवीय संवेदना उल्लिखित किया है। उनका मानना है कि जिस प्रकार मनुष्य शरीर पांच तत्वो से निर्मित हुआ है l उसी प्रकार पर्यावरण भी पांच तत्वो का सम्मिलित रूप है। पर्यावरण प्रदूषण किसी  भी रूप में हो प्रकृति के लिए हानिप्रद ही है । आगे लेखक ने बताया है कि किस प्रकार वैदिक वाग्ङ्मय में प्रकृति के समस्त तत्वों की विभिन्न ऋचाओं द्वारा स्तुतियां की गई है । रामचरितमानस तथा भगवत् गीता में भी प्रकृति की उपासना की गई है । आज आधुनिकता का दौर है इसमें दोहन तथा शोषण की नीतियों के कारण प्रकृति संकटग्रस्त हो गई है ।

लेखक ने आगे  कहा है कि आज स्थिति ये है कि पर्यावरण प्रदूषित होने के कारण वातावरण का संतुलन बिगड़ने लगा है । एवरेस्ट पर पाए जाने वाले कचरे का भी उल्लेख किया गया है। तत्पश्चात पर्यावरण का विनाश अंतःकरण का विघटन किस प्रकार करता है ये बताया है। अंततः पर्यावरण संरक्षण के लिए सामूहिक भागीदारी आवश्यक है, कहते हुए लेखक ने अपना निबंध समाप्त किया है  |

 

5. पर्यावरण संरक्षण द्वारा पृथ्वी नामक ग्रह कैसे सुन्दर बनाया जा सकता है

निबंध : पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण         

 लेखक :  डा. अरविन्दकुमार सिंह

परिचय :  उदय प्रताप कालेज, वाराणसी में , 1991 से भूगोल प्रवक्ता के पद पर अद्यतन कार्यरत

लेखक ने कहा है कि हमारा देश विशाल जनसँख्यावाला देश है | समस्याऐ कई बिन्दुओं पर होना स्वाभाविक हैं किन्तु दो समस्याएँ उभरकर आती है जो है जल और अन्न की | दूसरी ओर विश्व के औसत तापमान वृद्धि के पीछे जो कारण है वह मुख्यत: पर्यावरण असंतुलन है | पर्यावरण को परिभाषित करते हुए लेखक ने भौतिक वातावरण और जैविक मंडल के विविध तत्वों का वर्णन किया है | पृथ्वी पर जैव मंडल की उपस्थिति के कुछ विशिष्ट कारण मानते हुए लेखक ने पर्यावरण को एक जैविक एवं भौतिक संकल्पना माना है | जिसके अंतर्गत स्थल, वायु, जल तथा जैव मंडल के भांति-भांति के स्त्रोतों का मनुष्य द्वारा सतत और असीम दोहन किया जा रहा है | परिणामस्वरूप पर्यावरण का बिगड़ना सहज प्रक्रिया हो गई हैं | हमारे पूर्वजों ने वन्य जीवों को देवी – देवताओं की सवारी मानकर तथा पेड़ – पौधों को भी देवतुल्य समझकर उनकी पूजा की इस हेतु उन्हें संरक्षण भी प्रदान किया | तत्पश्चात लेखक ने वायुमंडल स्थलमंडल जलमंडल और जैवमंडल की उपयोगी जानकारी प्रदान की है | उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को मनुष्य और पर्यावरण के बीच सम्बन्ध सुधारने की एक प्रक्रिया माना है | तदर्थ कुछ उपाय सुझाये है | यदि इस ग्रह पर रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति एक वृक्ष लगायें तो यह ग्रह भी बहुत सुन्दर दिखेगा ये सन्देश देकर निबंध समाप्त किया गया है |

 

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Filed Under: निबंध

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