अरविंद केजरीवाल एक ऐसे राजनयिक हैं जिनका सबसे अधिक सम्मान किया जाता है, उनके द्वारा भी जो इनसे सहमत नहीं हैं। एक IRS अफसर से राजनयिक बने, वह सामाजिक परिवर्तन के प्रति समर्पित हैं और अपने कैरियर के दौरान उन्होंने परिवर्तन तथा कबीर जैसे कई भ्रष्टाचार विरोधी संगठनों का आरंभ किया है। आम आदमी पार्टी के नेता, दिल्ली के मुख्यमंत्री और स्वराज शीर्षक पुस्तक के लेखक श्री केजरीवाल, ईमानदारी और दृढ़-निश्चयता के पदों में उदीयमान लेखकों को बहुत कुछ सिखा सकते हैं। अधिक जानने के लिए आगे पढ़िए।
सरलता को पसंद किया जाता है
अरविंद केजरीवाल जनता के व्यक्ति हैं। वह सुनिश्चित करते हैं कि वह साधारण व्यक्तियों के लिए अभिगम्य रहें। वह उनके साथ सम्मिलित होते हैं। यह उनके व्यवहारिक तथा स्वाभाविक वस्त्रों से आसानी से दृष्टिगोचर होता है, जो साधारण जनता की पोशाक से अलग नहीं है। वह सादगी से रहते हैं, उनकी पत्नी नौकरी करती हैं और वह मध्यम-वर्गीय जीवन शैली से अधिक दूरी नहीं रखते हैं। यह मतदाताओं को उनके समीपस्थ अनुभव कराता है। इसी प्रकार लेखकों को अपनी लेखन शैली सुगम और सरल रखना सुनिश्चित करना चाहिए जिससे पाठकों को समझने में आसानी हो। यदि वे समझते हैं कि जटिल कहानियोँ और उलझनदार मुद्दों पर आसानी से चर्चा की जा सकती है, तब पाठक उन्हें पसंद करेंगे।
अपनी गलतियोँ से सीखिए
अन्य सभी व्यक्तियों के समान अरविंद केजरीवाल ने भी गलतियाँ की है। 2014 में जब उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री के अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था, जनता निराश हो गई थी कि उन्होंने परिवर्तन करने और इसके साथ-साथ निर्वाचन मंडल से लगे रहने का स्वर्णिम अवसर छोड़ दिया था। परंतु उन्होंने अपनी गलती को स्वीकार किया था, इससे सीखा था, और अपने में सुधार लाने का प्रयास किया है। यदि लेखक इस उदाहरण का अनुसरण कर सकते हैं, तब वे कभी भी असफलता का सामना नहीं करेंगे – क्योंकि प्रत्येक असफलता सफलता के लिए सीढ़ी होती है। यदि आपकी पहली पुस्तक असफल होती है, तब अपनी गलतियों को ढूँढ़िए और उनका सुधार कीजिए, और तब पुनः प्रयास कीजिए।
मूल्यों पर समझौता नहीं कीजिए
अरविंद केजरीवाल ने अपनी प्रत्येक गतिविधि पर जाँच के लिए द्वार खोल दिया है और राजनीति के मैले दलदल में प्रवेश करने के बाद भी उन्होंने अपने नैतिक मूल्यों को बनाए रखना चुना है। पहली बार हमें भ्रष्टाचार-मुक्त मंत्री मिला है, जिसने वास्तव में भ्रष्टाचार को पुराने फैशन के समान बना दिया है। एक लेखक के रूप में, अपने लेखन की नैतिकता पर निष्ठा रखते हुए अपने मूल्यों को बनाए रख सकते हैं। इसलिए नहीं लिखिए कि यह बिकेगी। कुछ ऐसी चीज लिखिए जो आपके हृदय से निकली हो।
प्रतियोगिता से नहीं डरिए
प्रतियोगिता का सामना करने के संबंध में लेखकों को अरविंद केजरीवाल से सीखने के लिए बहुत कुछ है। जब वह एक राजनीतिक पार्टी बनाने के लिए प्रस्तुत हुए थे, बहुत से लोगों ने सोचा था कि समर्थन करने के लिए बड़े नामों, या राजनीतिक संयोजनों के अभाव में वह लड़खड़ा जाएंगे। तथापि, उन्होंने दिखा दिया था कि कोई भी किसी भी स्तर पर राजनीति में प्रवेश कर सकता है और स्वयं अपनी शर्तों पर काम कर सकता है। उन्होंने बड़ी पार्टियों से लोहा लिया और जीत गए। आप भी अपनी परियोजना के लिए ईमानदारी से काम करते हुए सफल हो सकते हैं, चाहे कितने भी नामी व्यक्ति वहाँ हैं। वे भी कभी नौसिखिए थे।
जोखिम उठाएँ
खतरे मोल लेना कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे मनुष्यों में यंत्रस्थ किया गया होता है। हमलोगों में से अधिकांश सरल पथ पसंद करते हैं, परंतु जोखिम उठाने के पारितोषिक बड़े होते हैं। किसी लेखक के रूप में, नई विधाओं, नई शैलियों और स्वयं को अभिव्यक्त करने के लिए नए उपायों के साथ प्रयास करने से डरिए नहीं। प्रत्येक नई पुस्तक के साथ आप भिन्न पाठकों तक पहुँच बना सकते हैं। यह उन सबसे बड़ी सीखों में से एक है जिसे आप अरविंद केजरीवाल से सीख सकते हैं, जिन्होंने दूसरों की भलाई के लिए एक आरामदेह नौकरी छोड़ दी थी। उन्होंने बहुत बड़ा जोखिम उठाया था और यह जाने बिना कि वे डूबेंगे या उतराएँगे, राजनीति में प्रत्यक्ष गोता लगा दिया था।
राजनीति हो या प्रकाशन, चुनौतियाँ अगाध हैं और अरविंद केजरीवाल ने हमें दर्शा दिया है कि उत्तरजीविता और प्रगति का मार्ग सीधा है, परंतु हमेशा आसान नहीं है।
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