आध्यात्मिकता विश्व में सबसे अधिक ढूँढ़ी जाने वाली विधाओं में से एक है, क्योंकि इनकी निरंतर आवश्यकता रहती है। जीवन वास्तव में तेजी से हमें छोड़ कर आगे निकल जाता है और कभी-कभी, हमें धीमें होने और अपनी आंतरिक शांति की खोज करने की आवश्यकता होती है। तथापि, आप ऐसे ही बैठ कर आध्यात्मिक धरातल में अपने व्यक्तिगत अनुभवों के संबंध में नहीं लिख सकते, चाहे उनमें स्वयं या जगत में विश्वास के जाथ जीवन जीना हो, या ईश्वर या किसी अन्य देवी-देवता में विश्वास के साथ। आध्यात्मिक लेखन में आपके व्यक्तिगत अनुभवों के अतिरिक्त भी बहुत कुछ रहता है। आपको एक चीज हमेशा याद रखनी चाहिए कि विशेष रूप से जब आंतरिक आध्यात्मिकता की बात आती है, तब प्रत्येक व्यक्ति अद्वितीय है। यदि जिस पथ का आपने अनुसरण किया था उसने आपको आंतरिक शांति प्राप्त करने में सहायता की थी, इसका यह अर्थ नहीं है कि वह दूसरों की भी सहायता करेगा। आध्यात्मिकता पर पुस्तक लिखने की कुंजी है पाठक के साथ जुड़ना और उसे स्वयं अपनी आंतरिक शांति ढूँढ़ने में सहायता करना।
1. पने पथ का चयन कीजिए
यदि आपने आध्यात्मिकता के संबंध में कोई पुस्तक लिखने का निर्णय किया है, तब यह पूर्वधारणा सुरक्षित होगी कि आपने स्वयं कोई ज्ञानवर्धक अनुभव किया है जिसने आपको, आपके जीवन को और आपकी मान्यताओं को बदल दिया है। यह तात्विक धरातल में यात्रा करने से ले कर ईश्वर को प्राप्त करने तक कुछ भी हो सकता है। अपनी आस्था में अटल बने रहना महत्वपूर्ण है; कभी भी एक ही पुस्तक में कई विषय-वस्तुओं तथा आध्यात्मिक पथों का मिश्रण नहीं कीजिए। आपके अधिकांश पाठक साधारण आध्यात्मिक विषय-वस्तुओं के संबंध में बातें करने वाली पुस्तकों के स्थान पर, अपनी आंतरिक शांति पाने के लिए विशिष्ट आध्यात्मिक विषय-वस्तुओं वाली पुस्तकों को खरीदेंगे।
2. अपने अनुभव का साझा करें
अपनी कहानी कहिए। किस चीज ने आपको अपने पथ पर डाला था? क्या यह आसन्न-मृत्यु अनुभव था या नक्षत्रीय धरातल की यात्रा? उत्कृष्टता से दर्शाने के लिए शब्दों का चयन कीजिए, केवल पाठकों से अपनी कहानी कहने के लिए नहीं। अपने अंतर की गहराइयों में झांकिए और तब सही शब्दों को ढूँढ़िए, और याद रखिए कि आपको पाठकों के साथ एक आंतरिक स्तर पर जुड़ना है, इसलिए सत्यनिष्ठ सुनाई देना सुनिश्चित कीजिए। उपदेशक के स्थान पर आध्यात्मिक गुरु बनिए। आप अपने पाठकों को उस मार्ग को ढूँढ़ने के लिए मार्गदर्शन करना चाहते हैं जो उन्हें आंतरिक शांति की ओर ले जाएगा, उन पर सिद्धांतों का बल-प्रयोग नहीं करना चाहते जो उन्हें अपने आध्यात्मिक एवं भावनात्मक मर्म से दूर धकेल देगा। .
3. अपनी मान्यताओं को कहिए
अपने अनुभवों का साझा करने के बाद, आपको जीवन और हमारे अस्तित्व के रहस्यों पर अपनी अंतर्दृष्टि की, तथा पथ में सीखे गए सभी पाठों की विस्तारपूर्वक व्याख्या करने की आवश्कता है। उस कहानी की सहायता से कि कैसे आपने अपनी आंतरिक शांति उपलब्ध की है, आपको दुनिया से उस ज्ञान के संसार के संबंध में कहना कहना चाहिए जिसे आपने आध्यात्म के पथ पर यात्रा करते हुए प्राप्त किया था। अपने ज्ञानवर्धन की कहानी को उन तथ्यों प्रमाण के रूप में कहते हुए अपनी मान्यताओं को स्पष्टता के साथ अभिव्यक्त कीजिए, जिन्हें आप अपने पाठकों के लिए प्रस्तुत करेंगे।
4. अपनी अंतर्दृष्टि का व्यावहारिक उपयोग ज्ञात कीजिए
यही वह कारण है जिससे पाठक आपकी पुस्तकों को पढ़ना चाहेंगे। आंतरिक शांति प्राप्त करना एक चीज है, परंतु इसे बनाए रखना पूर्णतः भिन्न है। हम सभी के जीवन में वे पल आ चुके हैं जब हम स्वयं इस दुनिया में विश्वास खो बैठते हैं और इसीलिए हमें मार्ग दिखाने के लिए निरंतर किसी प्रकाश-स्तंभ की आवश्यकता होती है। इस अंश में, शांति और व्याकुलता, दोनों के समयों में, आपको अपनी अंतर्दृष्टि एवं ज्ञान के व्यावहारिक उपयोग को अभिव्यक्त करने की आवश्यकता होती है, जिससे पाठक को आश्रय लेने के लिए सर्वदा एक आधार मिले, एक आरंभिक बिंदु, जो उन्हें आध्यात्मिक ज्ञानोदय के पथ पर वापस डालने में सहायक हो।
5. अपने पाठकों तक पहुँचें
या दूसरे शब्दों में, अपनी पुस्तक प्रकाशित करें। आप उन प्रकाशन गृहों का संधान कर सकते हैं जो मात्र आध्यात्मिक पुस्तकों के प्रकाशन पर ध्यान-केंद्रण करते हैं, परंतु लेखन और प्रकाशन की व्यक्तिपरकता के कारण तथा इस कारण से कि आध्यात्मिकता पर पुस्तकें कितनी व्यक्तिगत हैं, यह अत्यंत कठिन हो सकता है। अतः, आपको तुरंत सकारात्मक अभिपुष्टि नहीं भी मिल सकती है। फिर भी, आप इन्हें स्वतंत्र रूप से हमेशा प्रकाशित कर सकते हैं। उन सही प्रकार के व्यक्तियों को ढूँढ़िए जो आपकी पुस्तकें खरीदेंगें और इससे व्यापक हितलाभ भी प्राप्त करेंगे, और अपने विपणन में उन रणनीतियों को सम्मिलित कीजिए जो उन तक पहुँचने के लिए विशेष रूप से रूपरेखित की गई हैं, जो यह सुनिश्चित करेगा कि आपके पाठक आपकी पुस्तक के द्वारा प्रभावित होंगे।
[author] [author_image timthumb=’on’]https://writingtipsoasis.com/wp-content/uploads/2014/12/photo.jpg[/author_image] [author_info]Georgina Roy wants to live in a world filled with magic.
As a 22-year-old art student, she’s moonlighting as a writer and is content to fill notebooks and sketchbooks with magical creatures and amazing new worlds. When she is not at school, or scribbling away in a notebook, you can usually find her curled up, reading a good urban fantasy novel, or writing on her laptop, trying to create her own.
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