पद गैर-कल्पना-साहित्य उन लेखन कृतियों का उल्लेख करता है जो सत्य तथ्यों को संबोधित करती हैं। दूसरी ओर, कल्पना-साहित्य लेखक की कल्पना का उत्पाद है। जहाँ गैर-कल्पना साहित्य कृतियाँ चुस्ती-दुरुस्ती, अर्थशास्त्र, गृह-सज्जा, इत्यादि, के रूप में श्रेणीबद्ध की जा सकती हैं, वहीं, कल्पना-साहित्य, रोमांस, विज्ञान-कपोल-कल्पना, रोमांचक, आदि प्रचुर विधाओं को सम्मिलित करता है। पहली दृष्टि में, उनमें अंतर करना सरल प्रतीत होता है। कल्पना साहित्य स्वभाव से सृजनशील है, परंतु गैर-कल्पना-साहित्य भी सृजनशील हो सकता है, जब लेखक उस लेखन शैली को अपनाता है जिसे नाम के लिए कल्पना-साहित्य कृतियों के लिए उपयोग किया जाता है। आत्मकथाओँ, जीवन-वृत्त, यात्रा मार्गदर्शक तथा अन्यान्य जैसा गैर-कल्पना-साहित्य उस उपाय से लिखा जा सकता है जो कल्पना-साहित्य तथा गैर-कल्पना-साहित्य के आर-पार सेतु का संकेत करता है। यही कारण है कि हमने कल्पना-साहित्य एवं गैर-कल्पना-साहित्य के बीच समानताओं को एकत्रित किया है और दर्शाया है कि वे कैसे और कहाँ भिन्न होते हैं।
1. कल्पना-साहित्य के संबंध में तथ्य
कल्पना साहित्य को पहचानना आसान है – कथा रेखाओं का आविष्कार लेखक के द्वारा किया जाता है, पात्र वास्तविक नहीं होते, और उनका अस्तित्व कभी भी नहीं रहा होता है। विकल्पस्वरूप, कल्पना-साहित्य की कुछ कृतियाँ हैं, जो असली दुनिया के पात्रों का उपयोग करती हैं, और कई कहानियाँ हैं जो असली नगरों में घटित हुई होती हैं। इस मामले में, पात्रों को कपोल-कल्पित किया जाता है, तथा उपन्यास में वर्णन किए गए स्थानों अनिवार्यतः उस नगर का अंश नहीं होना पड़ता है। आजकल, कहानी को अधिक यथार्थवादी बनाने के अभिप्राय से, लेखक किसी नगर का वर्णन ठीक उसी तरह करेंगे जैसा वह वास्तव में है, परंतु पात्र, लोग और कहानी वास्तविक नहीं होती है।
2. साहित्यिक गैर-कल्पना
इस तथ्य के कारण कि कथानक के प्रवाह में सुधार करने के लिए उनमें कल्पना-साहित्य जैसी लेखन शैली का प्रयोग किया जाता है, आत्मकथा, संस्मरण, और जीवन-वृत्त का अधिकतर साहित्यिक गैर-कल्पना के रूप में वर्णन किया जाता है। तथापि कहानी रेखाओं का आविष्कार नहीं किया जाता; व्यक्ति एवं स्थान का अस्तित्व वास्तविक जीवन में होता है। आजकल, गैर-कल्पना साहित्य के लिए कठोर मार्गदर्शक हैं, और यदि कोई संस्मरण, आत्मकथा या जीवनवृत्त सत्य तथ्यों एवं घटनाओँ को ठीक उस तरह प्रसारित नहीं करता जैसे वे घटित हुई थीं, तब इसे सच्ची कहानी, या सत्य घटनाओं पर आधारित कल्पना-साहित्य कृति का लेबल दिया जाता है, परंतु यह गैर-कल्पना-साहित्य नहीं होगा।
3. कल्पना-साहित्य तथा गैर-कल्पना-साहित्य का पृथकीकरण
कल्पना-साहित्य को गैर कल्पना-साहित्य से पृथक करने के लिए सबसे बढ़िया उपाय है खोज करना कि कौन सी कहानी ठोस तथ्यों के साथ संलग्न है। गैर-कल्पना-साहित्य सृजनशील हो सकता है तथा इसे लिखे जाने की शैली उपन्यास के समान हो सकती है, परंतु आगे-पीछे करने के बदले, घटनाएँ तब भी कालक्रम के अनुसार वर्णन की गई होंगी। इसका कारण यह है कि कल्पना-साहित्य का प्राथमिक कार्य मनोरंजन है, वहीं गैर-कल्पना-साहित्य का कार्य सूचनात्मक है। निश्चित रूप से, कुछ कल्पना-साहित्य उपन्यास हैं जो वास्तविक जीवन से संबद्ध होते हैं, परंतु उपन्यास में अवधारणाओं का प्रतिनिधित्व काल्पनिक पात्रों के द्वारा किया जाएगा। गैर-कल्पना-साहित्य का प्राथमिक कार्य है सूचना – और जहाँ यह मनोरंजक हो सकता है, इसे आवश्यक रूप से तथ्य तथा वास्तविक घटनाओं को प्रस्तुत करना चाहिए।
4. सेतु श्रेणी
उदाहरण के लिए, ऐतिहासिक कल्पना-साहित्य को कल्पना-साहित्य तथा गैर-कल्पना-साहित्य की सीमाओं के बीच सेतु के रूप में एक विधा का लेबल दिया जा सकता है। ऐतिहासिक कल्पना-साहित्य लेबल की गई कोई कहानी, जिस युग में स्थापित की गई है उसका वर्णन ऐतिहासिक रूप से जितना भी संभव हो सके सही किया जाना चाहिए, नहीं को यह कपोल-कल्पना श्रेणी में चली जाएगी। सृजनात्मक गैर-कल्पना-साहित्य तथा कथावाचक गैर-कल्पना-साहित्य भी विधाएँ हैं जो पढ़ने में उपन्यास के समान हैं वह विधाएँ हैं जो कल्पना-साहित्य तथा गैर-कल्पना-साहित्य के बीच की रेखाओं को धूमिल कर देती हैं। ऐसा इस तथ्य के कारण होता है कि सृजनात्मक गैर-कल्पना-साहित्य पढ़ने में उपन्यास जैसे हैं, परंतु वर्णित घटनाएँ, स्थान और व्यक्ति बिल्कुल वास्तविक हैं तथा अस्तित्व में रहे होते हैं।
5. भेद करना क्यों महत्वपूर्ण है
कल्पना-साहित्य तथा गैर-कल्पना-साहित्य में भेद करना महत्वपूर्ण है, विशेषतः जब यह सेतु विधाओं के संबंध में है जो दोनों विधाओं के बीच की रेखाओं को धूमिल कर देती है। उदाहरण के लिए, गैर-कल्पना-साहित्य की कुछ कृतियाँ रही हैं जिनके संबंध में ज्ञात हुआ है कि तथ्य की तुलना में कल्पना का आधिक्य है। दूसरी ओर उन उपन्यासों का प्राचुर्य है जिन्हें कल्पना-साहित्य का लेबल दिया गया है, यद्यपि उनमें सत्य घटनाएँ होती हैं और वे लेखकों के जीवन पर आधारित होती हैं। गैर-कल्पना-साहित्य के पाठक गैर-कल्पना-साहित्य से सत्य एवं तथ्य की अपेक्षा करते हैं, यही कारण है कि अपनी पुस्तक को लेबल देते समय लेखकों को सावधान रहना चाहिए।
Image credit: Pixabay[author] [author_image timthumb=’on’]https://writingtipsoasis.com/wp-content/uploads/2014/12/photo.jpg[/author_image] [author_info]Georgina Roy wants to live in a world filled with magic. As an art student, she’s moonlighting as a writer and is content to fill notebooks and sketchbooks with magical creatures and amazing new worlds. When she is not at school, or scribbling away in a notebook, you can usually find her curled up, reading a good urban fantasy novel, or writing on her laptop, trying to create her own.
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