आप जब कोई कहानी लिखने के लिए प्रस्तुत होते हैं, तब एक निर्णय आपको लेना पड़ता है कि किसके दृष्टिकोण से कहानी को कहा जाए? यह निर्णय अत्यंत महत्वपूर्ण है और पाठक के द्वारा इस कहानी को पढ़े जाने के अनुभव पर यह एक बड़ा प्रभाव डालने वाला है। आप जो विकल्प लेते हैं उस पर विचार करते हुए, यदि आपने किसी अन्य दृष्टिकोण का विकल्प लेते हुए लिखा होता, तब आपकी कहानी उस कहानी के विकास से पूर्णतः भिन्न रूप से विकसित होती।
अधिकांश नौसिखिए उत्तम पुरुष दृष्टिकोण से आरंभ करेंगे। यह सरल है क्योंकि यह लेखक को उस पात्र से अंतरंग होने की और उसके स्थान पर स्वयं की कल्पना करने की अनुमति देता है। अधिकांश लेखकों के लिए, यह स्वयं को उस पात्र के साथ बेहतर परिचित करने का अवसर है जिसके दृष्टिकोण के द्वारा से वे कहानी को कहलाना चाहते हैं। परंतु यह एकमात्र दृष्टिकोण नहीं है। साधारणतः, पाठकों के द्वारा प्रथम पुरुष दृष्टिकोण सबसे अधिक पसंद किया जाता है क्योंकि यह उन्हें पूरी कहानी को सभी कोणों से अनुभव करने की अनुमति देता है। मध्यम पुरुष विकल्प लेखकों के द्वारा लिया जाने वाला अत्यंत विरल विकल्प है, और यह अधिसूचना कार्य के लिए अधिक सर्वनिष्ठ है। इस दृष्टिकोण के अंतर्गत, लेखक ‘आप/तुम’ और ‘आपके/तुम्हारे’ जैसे सर्वनामों का प्रयोग करते हुए पाठक के साथ प्रत्यक्ष बातें करता है।
किस दृष्टिकोण का उपयोग किया जाए, इसे निर्धारित करने के लिए एक उपाय है यह निर्णय लेना कि कि कहानी किस पात्र के दृष्टिकोण से कही जाएगी। सामान्यतः, यह अग्रणी होगा/गी क्योंकि अधिकांश घटना-क्रम उसी के गिर्द घटित होगा। यदि स्थिति यही है, तब आपके लिए अपनी कहानी कहने के लिए उत्तमपुरुष दृष्टिकोण का उपयोग करना सुरक्षित रहेगा। यह पाठक को अग्रणी की सोचों और भावनाओं से अंतरंग रखेगा और उसे अग्रणी के साथ जोड़ेगा। परंतु इस दृष्टिकोण की अपनी समस्याएँ भी हैं। उदाहरण के लिए, यदि अग्रणी मुख्य घटना-क्रम के समय उपस्थित नहीं रहता है, तब पाठक को इसके संबंध में कोई भी सूचना नहीं मिलेगी। इस शैली की दूसरी समस्या यह है कि लेखकों के पास लंबे-खिंचने वाले कथनों में खिंच जाने की प्रवृत्ति होती है और वे घटना-क्रम के माध्यम से पर्याप्त नहीं दर्शाते।
दृष्टिकोण-पात्र वह पात्र है जिसके दृष्टिकोण से कहानी कही जाती है। बहुधा यह अग्रणी होता है, परंतु यह कोई प्रेक्षक भी हो सकता है। यदि आपका दृष्टिकोण-पात्र घटना-क्रम के कार्यान्वन-स्थल पर बिल्कुल उपस्थित नहीं होने वाला है, तब कहानी के साथ प्रथम पुरुष दृष्टिकोण का अपनाया जाना उपयोगी हो सकता है। इस दृष्टिकोण के साथ, आप एक अधिक सूक्ष्म-भेद-युक्त कहानी विकसित कर सकते हैं और किसी संपन्न जगत की सृष्टि कर सकते हैं। यदि आपका अग्रणी, कथावाचक या दृष्टिकोण-पात्र उपस्थित नहीं भी रहता है, आप तब भी आप उन उद्बोधक दृश्यों को लिख सकते हैं जिनके साथ पाठक जुड़ सकता है। आप किसी कहानी को एक से अधिक व्यक्तियों के दृष्टिकोण से भी लिख सकते हैं। इस स्थिति में भी प्रथम पुरुष दृष्टिकोण का अपनाया जाना बेहतर होगा। जिस जगत को आपने रचा है उससे पाठकों को अधिक प्राप्त करने में सक्षम करने के लिए, आप विभिन्न परिप्रेक्ष्यों से अपनी कहानी कह सकते हैं।
एक बार जब आप किसी दृष्टिकोण के चयन की आधारभूत प्राप्तियों तथा समस्याओं को आंक लेते हैं, तब आप अधिक जानकार विकल्प ले सकते हैं जो आपकी कहानी की गुणवत्ता में प्रतिबिंबित होगा। आप कहानी को जिस तरह कहलाना चाहते हैं उसी के अनुसार पात्र का चयन कीजिए।
Image credit: martinak15 on flickr and reproduced under Creative Commons 2.0[author] [author_image timthumb=’on’]https://writingtipsoasis.com/wp-content/uploads/2015/02/IMG_20141217_101736441.jpg[/author_image] [author_info]Kavitha is a freelance content writer and French translator, and has been working in this field since 2008. She has degrees in computer applications and international business and has a background in business and international trade. She enjoys learning languages and is currently learning Japanese. Her interests vary from books and writing to travelling and history.[/author_info] [/author]