प्रतिदिन लिखना आपको एक बेहतर लेखक बनाएगा। यह आपको एक पूरी पुस्तक, या लघु-कथा लिखने के लिए आपके स्वप्न को साकार करने के निकटतर लाएगा, और तब यह आपको प्रकाशित कराएगा। क्योंकि आप जितना अधिक लिखते हैं, उतना ही अधिक लिखने के संबंध में सीखते हैं। इसके अतिरिक्त आप अपने विचारों को कागज पर चरघातांकी तरीके से स्थानांतरित करने में बेहतर बन जाएँगे। उदाहरण के लिए, आप कुछ ऐसा लीजिए जिसे आपने बहुत समय पहले लिखा था, और तब इसकी किसी ऐसी चीज के साथ तुलना कीजिए जिसे आपने हाल ही में लिखा है। आप यह आविष्कार करेंगे कि, यद्यपि आपने इसे लक्ष्य नहीं किया होगा, आप बेहतर हो गए हैं। परंतु, नित्यदिन लिखने का अभ्यास बनाना प्रतिभा नहीं है, यह एक अनुशासन है। और इसलिए, इसे सुनिश्चित करने के लिए कि आप प्रत्येक दिन लिखें, इसमें सहायता करने के लिए हमने एक पाँच चरणों के मार्गदर्शक की सृष्टि की है।
1. पास एक नोटबुक रखें
किसी लेखक का मन लगभग कभी भी शांत नहीं रहता। हम हमेशा सोचते रहते हैं, चाहे उन कहानियोँ के बारे में जिन्हें हम लिखना चाहते हैं, या उन चरित्रों को बारे में जिनकी हम सृष्टि करना चाहते हैं। हम उन सभी चीजों, घटनाओं, लोगों, पशुओं और प्रकृति से भी प्रेरणा लेते हैं जिनसे हम घिरे हुए हैं। अपने पास एक नोटबुक (निश्चित रूप से, किसी पेन या पेंसिल के साथ) रखना, सुनिश्चित करता है कि आप हमेशा अपने विचारों को लिखने के लिए सक्षम हैं। अवश्य ही, यह निश्चित नहीं है कि आप जिसे बस में या ट्रेन में लिखते हैं वह कोई ऐसी चीज है जिसे आप बाद प्रकाशित करेंगे – परंतु आप लिखेंगे। और लिखना आपको लिखने में बेहतर बनाता है।
2. कोई स्थान चुनिए
तथापि, पास एक नोटबुक रखना यह सुनिश्चित नहीं करेगा कि आपने लिखने को एक दैनंदिन अभ्यास में बदल लिया है। आपको कोई स्थान चुनने की आवश्यकता है जहाँ पर आप लिखेंगे, और यह पूरी तरह से आप पर निर्भर करता है। क्या आप किसी भीड़-भरे कैफे में लिखते हुए सहज अनुभव करते हैं, या आपको एकांत में रहने की आवश्यकता है? चयन कीजिए और अपना निर्णय लीजिए – यदि आप सक्षम हैं तब दोनों विकल्पों का प्रयास कर सकते हैं। एकांत में लिखने, या लोगों से या प्रकृति से घिरे रह कर लिखने का प्रयास कीजिए, और चयन कीजिए कि किस प्रकार का अवस्थापन लिखने को आनंदमय बनाता है। क्योंकि अंत मे, जब आप लिखते हैं, और जिसके बारे में लिख रहे हैं, आपको अच्छा अनुभव करने की आवश्यकता है, और कभी-कभी यह बहुत बड़े अंतर की सृष्टि कर सकता है।
3. समय चुनिए
कई लेखक नित्य-दिन एक ही समय लिखने के लिए परामर्श देते हैं। चाहे यह सुबह के 6 बजे हो, या दिन के 2 बजे, जब तक यह निरंतर है इससे कोई भी अंतर नहीं पड़ता। तथापि, यदि आपके दैनिक कार्य की अनुसूची व्यस्त है, या आप प्रतिदिन किसी विशेष समय पर लिखने के लिए सक्षम नहीं हैं, तब यह एक समस्या बन जाती है । इसका अर्थ यह नहीं हैकि आपको लिखना एक दैनंदिन अभ्यास बनाना छोड़ देना चाहिए; इसके बदले, आप प्रतिदिन भिन्न-भिन्न समयों पर लिख सकते हैं। परंतु प्रेरणा के द्वारा आघात किए जाने, या अपने लिए समय रखने की प्रतीक्ष करने के बदले, अपने दिन की योजना इस उपाय से बनाइए कि आपके पास कम-से-कम एक घंटा अलग रखा हुआ है जब आप लिखेंगे।
4. अपनी सीमा चुनिए
कई लेखक आपको एक दैनिक शब्द-गणना की और आपको एक न्यूनतम शब्दों की मात्रा लिखनी चाहिए इसकी राय देंगे जो एक अच्छी अवधारणा है। यह सैद्धांतिक रूप से सत्य है। तथापि, इसका एक अवांछित पार्श्व-प्रभाव हो सकता है – आप हमेशा लिखने के लिए अपने को दबाव अंतर्गत रखेंगे, उदाहरण के लिए 1500 शब्द। समय के साथ यह कठिन हो सकता है, विशेष रूप से यदि आप इतने शब्द लिखने के लिए सक्षम नहीं हैं। तब दबाव बढ़ेगा, और आप स्वयं को लेखक के अवरोध का आश्चर्यजनक अनुभव करते हुए पा सकते हैं। यही कारण है कि आपको अपनी सीमा सावधानी से चुननी चाहिए। और सबसे अच्छी चीज यह है कि इसे शब्दों की कोई भी विशिष्ट संख्या नहीं होनी चाहिए। यह प्रगति भी हो सकती है, चाहे यह कथानक में हो (यदि आप कल्पना-साहित्य लिख रहे हैं) या शोध में (यदि आप गैर-कल्पना-साहित्य लिख रहे हैं)।
5. एक दिन अवकाश लीजिए
कोई भी हर महीने लगातार 30 दिनों तक लिखता नहीं रह सकता। हो सकता है कि आप इसे एक, या दो महीने के लिए करें, परंतु आप प्रगति नहीं भी कर सकेंगे, या यदि आपने चुना है तब शब्दों की दैनिक संख्या पर नहीं पहुँच पाएँगे। इसी लिए आपको अपनी अनुसूची में अवकाश के दिनों को रखने की आवश्यकता है। नहीं, इसका अर्थ यह नहीं है कि आप उस दिन बिल्कुल नहीं लिख सकते। आप कुछ स्वच्छंद-लेखन अभ्यास भी कर सकते हैं। अवकाश का दिन इसे सुनिश्चित करने का कार्य करता है कि आपका मन आपकी वर्तमान परियोजना से अलग रहे, या दूसरे शब्दों में, यह विश्राम कर रहा है। जहाँ लिखने पर ध्यानकेंद्रण करना आवश्यक है, अनुशासन में दूसरे स्थान पर आने वाला है दैनंदिन लिखने का अभ्यास बनाना, इसका अर्थ यह नहीं है कि आपको किसी विशेष विषय-वस्तु पर लिखने को ले कर अपने मन के उत्पीड़न में बदलना पड़ेगा। स्मरण रखिए, लक्ष्य है लिखने को आनंददायक विनोद बनाना; यह एक ऐसी चीज है जिसे करना आप चुनते हैं क्योंकि आप इसे चाहते हैं, और आप केवल इसलिए नहीं लिख रहे हैं कि आपको प्रतिदिन शब्दों की एक विशेष संख्या की सीमा पर पहुँचना है।
Image credit: Manoj Vasanth on flickr and reproduced under Creative Commons 2.0[author] [author_image timthumb=’on’]https://writingtipsoasis.com/wp-content/uploads/2014/12/photo.jpg[/author_image] [author_info]Georgina Roy wants to live in a world filled with magic.
As a 22-year-old art student, she’s moonlighting as a writer and is content to fill notebooks and sketchbooks with magical creatures and amazing new worlds. When she is not at school, or scribbling away in a notebook, you can usually find her curled up, reading a good urban fantasy novel, or writing on her laptop, trying to create her own.
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