“मेरे पुस्तक की अवधारणा मेरे मन में हैं, परंतु इसे लिखने के लिए मेरे पास समय नहीं है।”
“ओह! सचमुच?” मैं कहता… “मेरे पास समय होता को मैं प्रधानमंत्री के लिए लड़ता।”
लाखों लेखक हैं जिनके मन में उपन्यास की अवधारणा है, पर उनमें से कदाचित ही कुछ वास्तव में अपने पहले उपन्यास को पूरा करने का प्रबंध कर सकते हैं। लिखने के लिए किसी लाइसेंस या किसी विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं है … लेखक बनने के लिए आपको लिखना पड़ता है।
जॉन ग्रीशाम तथा टॉम क्लैंसी के भी पहले उपन्यास प्रकाशकों के द्वारा अस्वीकृत किए गए थे! परंतु वे सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तकों के लेखक बन गए, नहीं बने थे? यह आपसे क्या कहता है? मेरे लिए यह स्पष्ट और सीधा है – सबसे बढ़या लेखक अनिवार्य रूप से सबसे प्रतिभाशील लेखक नहीं हैं, परंतु वे सबसे हठी हैं … वे समर्पण नहीं करते। यदि आप चाहते हैं कि आपका पहला उपन्यास पूरा हो जाए, तब आपके अंदर एक जुनून होना चाहिए।
अतः, जब आप अपना पहला उपन्यास लिख रहे हों, तब ध्यान में रखने के लिए यहाँ कुछ अत्यंत उपयोगी गुर दिए गए हैं।
इसे लिखिए
जैसे जोसेफ फाइंडर कहते हैं, “पहले ही इस पुस्तक को लिख डालिए!”… यही करना आपका लक्ष्य होना चाहिए। आपके मन में पुस्तक की अवधारणा अत्यंत भड़कीली है। दुर्भाग्यवश कोई भी इसे पढ़ नहीं सकता। इसलिए इसे लिख डालिए – अपने व्याकरण और शब्दावली इत्यादि की चिंता नहीं कीजिए। केवल इस चीज को कागज पर उतार दीजिए। संपादन बाद में किया जाएगा।
इसे अपना काम समझ कर कीजिए
लिखना आपका शौक नहीं है, यह आपका काम है और आपको इसका साथ वही आचरण करना चाहिए। सुबह 9 बजे लिखने बैठ जाइए और संध्या 5 बजे तक लिखते रहिए। विराम वैसे ही लीजिए जैसे सामान्यतः काम पर लेते हैं और जब आप लिख रहे हों, तब दूसरों को रुकावट डालने की अनुमति नहीं दीजिए।
आंतरिक लक्ष्य स्थापित कीजिए
एक पूरे आकार का उपन्यास कम-से-कम 75,000 शब्दों का होता है। बहुत अधिक लगता है, है ना? 75,000 शब्दों के संबंध में सोचिए भी नहीं। एक दिन में 1.000 शब्द पूरे करने का लक्ष्य रखिए। इस उपाय से आपका पहला प्रारूप लगभग 3 महीने में पूरा हो जाएगा। पहली बार लिखने वाले के लिए बुरा नहीं है, क्या आपको नहीं सोचना चाहिए?
एक अंतिम तिथि रखिए
99.9% लेखक अंतिम तिथि के अनुसार नहीं चल सकते, परंतु उनमें से अधिकांश प्रयास करते हैं। प्रथम बार लेखक के रूप में, अपना उपन्यास पूरा करने के लिए आपके अंतिम तिथि रखनी चाहिए। समय के अंदर पूरा करने का अभ्यास डाल लीजिए जिससे यह बाद में आपके लिए समस्या नहीं बन जाए।
अच्छा काम करने के लिए स्वयं को पुरस्कृत कीजिए
पूरे सप्ताह लिखते रहना एक दुष्कर कार्य हो सकता है। आप एक आसान रणनीति के साथ प्रयास कर सकते हैं – यदि आप सप्ताह में 5000 शब्द पूरे कर लेते हैं तब अपने आप से एक चलचित्र देखने का वादा कीजिए (प्रतिदिन 1000 शब्दों का लक्ष्य, याद है?) . . यह आपको उत्प्रेरित करने के लिए बाध्य है। अवश्य ही, कभी-कभी पुरस्कार बदलते रहिए जिससे उत्प्रेरण चालू रहे।
क्या आपने माताओं के घर पर दोसा बनाते हुए देखा है? पहला दोसा हमेशा तवे से एक डले के रूप में निकलता है? क्या वे छोड़ देती हैं? नहीं, वे नहीं छोड़ती हैं. वे अगले पर चल देती हैं और यह ठीक निकल आता है। और तब वे पूरे परिवार को खिलाने के लिए दोसा पर दोसा परोसते जाती हैं। इसलिए, यदि आपका पहला प्रारूप बकवास निकल आता है, तब घबराने की कोई बात नहीं है … आप इसका संपादन कर सकते हैं या इसे दोहरा सकते हैं। परंतु उपन्यास का पहला प्रारूप अपने मन से निकाल कर कागज पर रखना सुनिश्चित कीजिए।
Image credit: Eduardo Quagliato on flickr and reproduced under Creative Commons 2.0[author] [author_image timthumb=’on’]https://writingtipsoasis.com/wp-content/uploads/2014/03/Profile_Pic_Moumita.jpg[/author_image] [author_info]Moumita Goswami is a full-time homemaker and a passionate writer. She stays in Pune with her husband and daughter. After giving up working, she started writing about five years ago and can now be seen using her computer keyboard almost all the time. An MA in Psychology from Calcutta University, Moumita has spent time in Kolkata, Delhi and now Pune. For Moumita, writing started as a sudden chance but she soon discovered her likeness for it. And now she has developed a passion for writing and hardly any day passes without her scribbling a few lines. She dreams of publishing her own book one day and is working towards it.
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