कुछ लेखक और शिक्षक आपको शब्द लेखक की कई परिभाषाएँ बताएँगे। वह सभी गलत हैं। कोई भी व्यक्ति जो लिखता है, वह एक लेखक है। आप दिन में कोई भी काम करते हैं परंतु रात को लिखते हैं, तब भी आप एक लेखक हैं, चाहे कितने भी व्यक्ति आपको समझाना चाहें कि आप शौकिया या नौसिखिया हैं। आप कितने अनुभवी, सफल और प्रतिभाशाली हैं वह अवश्य ही एक अन्य प्रश्न है, परंतु इससे कोई भी अंतर नहीं पड़ता कि आप इस पल कहाँ है, याद रखिए कि जब तक आप लिखते रहेंगे, आप एक लेखक हैं। और कई ऐसी चीजें हैं जिन्हें आपको जानना और मन में धारण करना आवश्यक है।
1. अपना लक्ष्य स्थिर कीजिए
आप लेखन से जो कुछ भी पाना चाहते हैं, और जो भी कारण हैं जिनसे आप लिखते हैं अपने-आप से पूछिए, या उनकी कोई सूची ही बना लीजिए। लिखने के लिए कोई भी सही या गलत कारण नहीं होता, जब-तक आप किसी अन्य व्यक्ति को आहत करने के लिए नहीं लिख रहे हैं, जिस स्थिति में आपको तुरंत बंद कर देना चाहिए। एक सूची बनाइए और उन सभी हितलाभों को जो आप लिखने से पाना चाहते हैं और उन सभी कारणों को जिनसे आप लिखते हैं, सम्मिलित कर लीजिए। यदि आप चाहें तब इसे अपनी मेज पर रख लीजिए। जब आपको लगेगा कि आपका लक्ष्य आपकी आँखों से ओझल हो गया है तब यह आपको ध्यान केंद्रण करने में सहायता करेंगे। यदि आपको अनुभव होता है कि आप भटक रहे हैं, तब इस सूची की जाँच कर लीजिए और निर्णय कीजिए कि क्या आपको उसे बदलने की आवश्यकता है जिसे आप इस समय कर रहे हैं, या, क्या आपको सूची के कुछ नगों को बदल देना चाहिए।
2. प्रत्येक व्यक्ति की लिखने की पद्धति अनोखी है
प्रत्येक लेखक अलग तरीके से लिखता है। कुछ आरंभ से शुरु करते हैं और अंत की ओर बढ़ते हैं, कुछ आसान अंशों को लिखते हैं और रिक्तताओं को भरते हैं, दूसरे अंत से शुरू करते हैं और आरंभ की ओर पीछे बढ़ते हैं। तथ्य यह है कि आपके लिखने की पद्धती आपके अपने DNA या उँगली की पोर के समान अलग है। हमेशा ध्यान में रखिए कि आपके पसंद के लेखक के लिए जो चीज काम करती है वह आपके लिए नहीं भी कर सकती। तथापि, इसका अर्थ यह नहीं है कि आपको उन पद्धतियों की खोज नहीं करनी चाहिए जिसे अन्य लेखक उपयोग में लाते हैं। इसके बदले, उनका प्रयास कीजिए जो आपको और आपकी प्रवृत्ति को आकर्षक लगती हैं और स्वयं अपने लिखने की पद्धति को विकसित कीजिए। जब शब्द तथा आकृतियाँ अनायास ही प्रवाहित होना आरंभ करेंगे, तब अत्यंत अल्प समय के लिए रुकिए और अपने आप से पूछिए कि आप वहाँ कैसे पहुँचे थे। स्मरण रखिए कि आपने क्या किया था, जिससे कि जब आप एक रुकावट या प्रेरणा के अभाव से ग्रस्त होंगे, तब इस पद्धति को दोहराएँगे।
3. लिखने के सभी गुरों और “नियमों” की अवहेलना कीजिए
यदि यह आपके लिए काम नहीं करते, तब यह ठीक नहीं हैं। लिखना अधिक व्यक्ति-निष्ठ है और ऐसे ही कई नियमों में घनीभूत नहीं किया जा सकता जिन्हे लेखक को अनुसरण करने के लिए बाध्य है। उदाहरण के लिए कुछ लेखक दावा करते हैं कि पूर्णरूप से लिखने के लिए आपको अपने उपन्यास, और इसके प्रत्येक अध्याय का प्रारूप तैयार करना चाहिए। यह कुछ लेखकों के लिए बिल्कुल गलत है, जिनके लिए यह तथ्य कि वे नहीं जानते कि वे अपने पात्रों के साथ कहाँ जा रहे हैं और यही वह चीज है जो लेखन प्रणाली को उत्तेजक बनाती है, और उन दूसरे लेखकों के लिए बिल्कुल सही है जो बिना कथानक का खाका बनाए अपना उपन्यास लिख पाने में अक्षम होते हैं। अपने लेखन में उन नियमों को सम्मिलित करने के बदले जो आपकी सृजनशीलता का दम घोट देते हैं, अपने मन और अपनी प्रवृत्ति का अनुसरण कीजिए और लिखने के उन गुरों और तथाकथित नियमों का उपयोग कीजिए जो आपके लिए काम करते हैं।
4. गलतियाँ करने से नहीं डरिए
यदि आप गतिशील हैं, पृष्ठ पर पृष्ठ लिखते जा रहे हैं, तब आपके सामने कोई शब्द, वाक्यांश या दृश्य आ जाता है जो ठीक नहीं निकल रहा है, तब इसे छोड़ दीजिए और इस पर बाद में आइए। अपने प्रवाह पर किसी भी चीज से रुकावट नहीं आने दीजिए, सूचना के अभाव को भी नहीं। शोध को बाद के लिए छोड़ दीजिए। यदि आप जिसे अब लिख रहे हैं वह सही नहीं भी है, तब गलती करने से नहीं डरिए और आगे बढ़ते जाइए। याद रखिए कि लिखते समय आप कोई भी गलती कर रहे हैं वह सभी केवल आपकी कहानी को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास हैं – वह प्रयास जो अंततोगत्वा असफल होंगे। उन गलतियों को करने से डरिए नहीं और बाद में संपादन प्रक्रिया में उन्हें ठीक कर लीजिए।
5. लिखना आपका प्रमुख शिक्षक है
लिखने के कार्य को लिखने के लिए अपने शिक्षक के समान उपयोग कीजिए। कोई भी गुर, नियम या मार्ग-दर्शक आपको स्वयं लिखने से बेहतर नहीं सिखा सकता। उदाहरण के लिए, किसी चीज को लीजिए जिसे आपने एक वर्ष पहले लिखा है। इसे देखिए। यह अब उतना अच्छा नहीं लगता है, लगता है क्या ? ऐसा इसलिए है कि आप जितना अधिक लिखते हैं, उतना ही लिखने में बेहतर होते हैं। अनिवार्यतः, कोई अच्छी पुस्तक पढ़ना, लेखन कक्षाओं में जाना और कभी-कभी लिखने के संबंध में कोई पुस्तक पढ़ना वह चीजें हैं जिन्हें भी आपको नहीं छोड़ना चाहिए, परंतु लिखना कभी भी बंद नहीं कीजिए। आप चाहे जो भी करते हों, लिखते रहिए। स्मरण रखिए, चाहे आप कितने भी प्रतिभाशील हो सकते हैं, अभ्यास ही उत्तम बनाता है।
Image credit: Steve Bowbrick on flickr and reproduced under Creative Commons 2.0[author] [author_image timthumb=’on’]https://writingtipsoasis.com/wp-content/uploads/2014/12/photo.jpg[/author_image] [author_info]Georgina Roy wants to live in a world filled with magic.
As a 22-year-old art student, she’s moonlighting as a writer and is content to fill notebooks and sketchbooks with magical creatures and amazing new worlds. When she is not at school, or scribbling away in a notebook, you can usually find her curled up, reading a good urban fantasy novel, or writing on her laptop, trying to create her own.
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