लेखन मिथक लेखन के संबंध में तथाकथित सार्वलौकिक सत्य हैं, जिनका अनुसरण “प्रत्येक लेखक को जानना चाहिए” शब्दों से किया जाता है। यदि उनके संबंध में कुछ भी सार्वलौकिक है, तो वह है क्षति जो आपकी रचनात्मक प्रक्रिया और आपके उस संकल्प पर की जाती है जो आपके विचारों को अपने आगे कोरे पृष्ठ पर रखते हैं। इनमें से कई निरुत्साहित करने वाले और अत्यंत घातक हो सकते हैं – इस अर्थ में कि वह आपको अपने लेखन के स्वप्न का अनुसरण करने से अक्षरंशः रोक देंगे।
1. लेखक जन्म से होते हैं
विशेष रूप से प्रवीण लेखक – वे उसी रूप में जन्म लेते हैं, और शेष हम सभी महिमा की माया से भ्रमित तुच्छ नश्वर प्राणी हैं। एक अन्य मिथक है कि लेखन एक प्रतिभा है, और यह आपके पास होती है या बिल्कुल नहीं होती। हाँ, लेखन एक प्रतिभा है, परंतु कोई भी सफल व्यक्ति आपसे कहेगा कि प्रतिभा सफलता की केवल 10% है, और शेष कठोर परिश्रम है। यदि निरंतर कार्य के द्वारा प्रतिभाओं का अन्वेषण और उन्नयन नहीं किया जाए, तब यह मुरझा जाती हैं। इसी कारण यह मिथक कि लेखक जन्म से होते हैं, मिथ्या है, एक विध्वंसकारी, पंगु करने वाला असत्य जो युवा लेखकों को हार मानने के लिए प्रेरित करता है। अच्छे लेखक बहुत लिखने के द्वारा उतने अच्छे बनते हैं। वे लेखन कौशल का अध्ययन करते हैं, लिखते हैं, और तब अत्यधिक लिखते हैं। और सुसमाचार यह है कि इन सब चीजों को करते हुए आप बेहतर से बेहतर लिखना सीख सकते हैं।
2. प्रेरणा के लिए प्रतीक्षा
लिखना कठिन कार्य है, और यदि आप लिखना चाहते हैं, तब अपने गिर्द की सभी चीजों में प्रेरणा की खोज करते हुए आपको कर्मठतापूर्वक और दृढ़-निश्चय के साथ लिखना पड़ेगा। प्रेरित होने के लिए वाग्देवी की प्रतीक्षा करना केवल समय को व्यर्थ गँवाना है – उस समय को जिसका उपयोग आप अपनी कहानी लिखने में कर सकते थे। प्रतिदिन लिखिए, आप जिसे लिखते हैं वह यदि आपकी कहानी में नहीं आए, तब भी लिखिए। यदि आप सचमुच लिखना चाहते हैं, तब लिखना एक अभ्यास बन सकता है।
3. बड़ी अवधारणा
यह एक मिथक है जो पिछले मिखक के साथ संबद्ध है, एक छोटे से अंतर के साथ। बहुतेरे महात्वाकांक्षी लेखक यह कहना पसंद करते हैं जब उन्हें कोई “बड़ी अवधारणा,” मिलेगी तब वे लिखना आरंभ करेंगे, वहीं लिखने के बदले, वे लिखने के संबंध में बातें करते हुए और उस अवधारणा के आने के लिए प्रतीक्षा करते हुए समय नष्ट करते हैं। परंतु सत्य यह है, कि वह बड़ी अवधारणा केवल ऐसे ही कहीँ से भी आ कर प्रकट नहीं होगी। किसी स्वाभाविक परिस्थिति को लेते हुए, “क्या यदि” विकल्प दृश्यावलियों की रचना करते हुए सबसे बड़ी अवधारणाएँ उत्पन्न होती हैं। अनगिनत विकल्प दृश्यावलियाँ, जब तक उनमें से एक में “सबसे बड़ी अवधारणाएँ” प्रकट न हो जाएँ।
4. पूर्ण समायोजन
महत्वाकांक्षी लेखक यह दावा करना पसंद करते हैं कि वे लिख नहीं पाते क्योंकि उनके पास समय नहीं है, या लिखने के लिए उचित स्थान नहीं है। उदाहरण के लिए, आप सोच सकते हैं कि आपको महोगनी की मेज, चमड़े की सहारा देने वाली कुर्सी के साथ किसी उचित अध्ययन-कक्ष की आवश्यकता है, और बहुत से भौतिक सुख—साधनों की आवश्यकता है जो निरंतर हीला-हवाला करने वाली आपकी प्रवृत्ति को बढ़ावा देते हैं। अवश्य, यदि आपके पास कोई अध्ययन-कक्ष है जिसमें से आप दुनिया को बाहर बंद कर सकते हैं और किसी आरामदायक कुर्सी पर बैठ कर लिख सकते हैं, तब इसे कीजिए। परंतु कतिपय लेखक ही लिखने के लिए आदर्श परिस्थितियों के होने का दावा कर सकते हैं, और फिर भी वे अब तक लिखते हैं। यदि आप वास्तव में लिखना चाहते हैं, तब आप स्थान और समय ढूँढ़ निकालेंगे, और आप आश्चर्यचकित रह जाएँगे कि आप सभी चीजों को भूल सकते हैं, केवल उस जगत के अतिरिक्त जिसकी आप रचना कर रहे हैं। अन्यथा, आपको अपने-आप से पूछने की आवश्यकता है कि क्या आप सचमुच लिखना चाहते हैं।
5. लेखकों का अवरोध
लेखकों का अवरोध वह है जो लेखकों को कई कारणों से होता है, जिनमें से एक है उपरोक्त सभी मिथकों में आस्था। यह सबसे खतरनाक मिथक है, क्योंकि यह आप से लिखना बंद करा सकता है, और आपको कायल कर सकता है कि आप कोई भी अन्य शब्द लिखने के लिए सक्षम नहीं हैं। तथापि, जब आप सक्रियतापूर्वक इसे अनुभव कर रहे हों, तब आपके लिए यह विश्वास करना कुछ कठिन है कि लेखकों का अवरोध एक मिथक है। फिर भी, कई पद्धतियाँ, प्रणालियाँ एवं उपकरण हैं जो इस अवरोध को भंग करने में और जितना आप बन सकते हैं उतना सर्वोत्तम लेखक बनने आपकी सहायता करेंगे। सर्वोत्तम पद्धतियों में से एक है कुछ भी लिखना, यदि यह अच्छा नहीं है तब भी लिखना। अच्छा सर्वदा अगले कोने के पीछे या अगले पृष्ठ पर है। आपको केवल यही करना है कि वहाँ पहुँच जाएँ।
Image credit: Kathleen Conklin on flickr and reproduced under Creative Commons 2.0[author] [author_image timthumb=’on’]https://writingtipsoasis.com/wp-content/uploads/2014/12/photo.jpg[/author_image] [author_info]Georgina Roy wants to live in a world filled with magic.
As a 22-year-old art student, she’s moonlighting as a writer and is content to fill notebooks and sketchbooks with magical creatures and amazing new worlds. When she is not at school, or scribbling away in a notebook, you can usually find her curled up, reading a good urban fantasy novel, or writing on her laptop, trying to create her own.
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