कभी-कभी किसी लेखक के रूप में, आपकी सफलता के सबसे घोर शत्रु वह मिथ्यावचन हो सकते हैं जिन्हें आपने अनजाने में स्वीकार कर लिया है। सामान्यतः यह झूठ इस कारण से झूठ हैं — कि यह सत्य नहीं हैं। फिर भी आप उहें सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं, और यही सारी समस्याओं की जड़ है। निम्नलिखित 5 झूठ हैं, जिन्हे आपको सत्य के रूप में स्वीकार करने से मना कर देने की आवश्यकता है।
1. मेरी पुस्तक के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है
कृपया इस मिथ्याचार को अपनी पुस्तक को वहाँ पहुँचने से रोकने अनुमति नहीं दीजिए। इस पर निर्भर करते हुए कि आप किस विधा में लिख रहे हैं, पहले से ही, दसों हजारों पुस्तकें विक्रय के लिए आई हो सकती हैं। तथापि, यह तथ्य कि आप अपनी पुस्तक अपने स्वर में लिख रहे हैं यह इसे उन उपलब्ध पुस्तकों से अलग बना देता है।
इससे आगे पृथकीकरण तथा अद्वितीयता का उदाहरण तब दिया जा सकता है जब आप इसका विपणन करते हैं। फिलहाल के लिए, लिखते रहिए और यह झूठ स्वीकार नहीं कीजिए कि इसके लिए पर्याप्त स्थान नहीं है।
2. यदि मेरी पुस्तक असफल होती है तब अनर्थ हो जाएगा
आपने जितना चाहा था आपकी पुस्तक का उतना विक्रय-स्तर नहीं होने का अर्थ किसी भी कारण से यह नहीं हो सकता कि आप असफल हो गए हैं। किसी पुस्तक को लिखने और प्रकाशित करने से संबद्ध कई सींखें हैं, और जब आप सचेतनता के साथ इन्हें चुनते हैं, आप इनसे सीख सकते हैं और पुनः शुरुआत कर सकते हैं। आपके कार्य में कभी भी असफलता नहीं होती, केवल प्रतिपुष्टि होती है कि क्या कार्यकारी था और क्या नहीं था। इस पर बिना लटके, जो कार्यकारी था उस पर आगे कार्य करना और जो नहीं था उसे छोड़ते हुए इन सीखों को बुद्धिमत्तापूर्वक उपयोग करना ही चालाकी है।
3. मैं लिखने के लिए नहीं बनाया गया हूँ
यदि लिखना आपको सचमुच उबाऊ लगता है, तब निश्चित रूप से आपको वह सक्रियता चुननी चाहिए जो आपके बस में हो। तथापि, यदि आप वास्तव में लिखने में आनंद लेते हैं, तब अपने आप से यह कहना कि आप इसके लिए नहीं बने हैं, इसके पीछे सामान्यतः कोई अंतर्निहित गुणक है, जैसे गलती से किसी अवरोध को अपने लिखने की क्षमता को पूर्णतः भग्न मान लेना। इसे विश्वास करने से मना कर दीजिए। आप हमेशा सुधार कर सकते हैं और बेहतर हो सकते हैं। रात को बढ़िया नींद लीजिए और अगले दिन अपने लिखने पर वापस लौट आइए। चीजें अलग प्रतीत होंगी।
4. प्रगति के केवल स्थापित उपाय हैं
यदि आपने लेखन का अध्ययन किया है, तब संभवतः आपने अनुकरण करने के लिए नियमों और संरचनाओँ को सीखा है। यदि आप किसी विशेष लेखक से प्रेरणा लेते हैं, तब संभव है कि आप इस व्यक्ति के द्वारा लिए गए चरणों और पद्धतियों का अनुसरण करें। निश्चित रूप से अन्य व्यक्ति उन पद्धतियों का अनुसरण करने में मार्गदर्शन दे सकते हैं जिनका वे स्वयं अनुसरण कर रहे हैं, तब आप निश्चित रूप से सही दिशा में बढ़ रहे हैं।
तथापि, किसी परिपक्व प्राप्तवयस्क व्यक्ति के रूप में, स्वयं अपने पथ को एक मानचित्र के रूप में मार्गदर्शन के लिए उपयोग करना नहीं भूलें। यदि कोई जाँच की गई तकनीक आपके लिए कारगर नहीं हो रही है, तब इसकी फिर से जाँच कर लें कि आप इसका सही उपयोग कर रहे हैं और फिर से प्रयास करें। यदि इसके बाद भी आपको वांछित परिणाम नहीं मिल रहे हैं, इस सन्निकर्ष को छोड़ने और दूसरे उपाय का प्रयोग करने में में अल्पमात्र भी हिचकिचाहट नहीं रखिए।
5. यदि कोई प्रकाशक मुझे अवसर देगा, तब मैं सफल बनूँगा
इस मुद्दे के साथ आप अपनी पूरी सफलता किसी बाह्य गुणक; किसी प्रकाशक के द्वारा आपको अवसर दिए जाने पर आधारित कर रहे हैं। यदि आपको मिलता है, तब बहुत बढ़िया है। परंतु नहीं मिलता है कब क्या करेंगे? कुछ दूसरा कीजिए। अपनी प्रगति का उत्तरदायित्व लीजिए और अपनी पूरी प्रतिभा का उपयोग करते हुए, जितना कर सकते हैं कीजिए। यदि करना पड़े, तब अपनी पुस्तक का स्वयं-प्रकाशन कीजिए, और सारी दुनिया के द्वारा इस प्रकार देखे जाने के लिए इसे निकालिए।
[author] [author_image timthumb=’on’]https://writingtipsoasis.com/wp-content/uploads/2014/01/hv1.jpg[/author_image] [author_info]Hiten Vyas is the Founder and Managing Editor of eBooks India. He is also a prolific eBook writer with over 25 titles to his name.[/author_info] [/author]