ये आलेख बच्चों के लिए देश भक्ति के भाव वृद्धि हेतु कविता के अथाह सागर में से चयनित कुछ कवितारूपी रत्नों की सारगर्भित जानकारी लेकर आया है। पाठकगण इससे अवश्य लाभ उठायेंगे।
1} वन्देमातरम्
कवि : बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, रचना : सन् 1870
देशभक्ति से ओतप्रोत ये कविता 13 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए हैं |
इस कविता में भारत – माता के अनुपम सौन्दर्य का यश – गान किया गया है | कवि ने भारत – भूमि के प्राकृतिक तत्वों की महिमा दर्शायी है | इसके नैसर्गिक अंचल के अंतर्गत समाहित सुमधुर संगीत को भी कवि की काव्य-दृष्टी ने सुचारू – रूप से उकेरा है | यही कारण है कि “वन्देमातरम” एक कविता होने के साथ – साथ आज़ादी के परवानों का नारा तथा राष्ट्रगीत बन गयी |
2} एक और जंज़ीर तड़कती है, भारत माँ की जय बोलो
कवि : हरिवंशराय बच्चन
यह कविता 10 से 11 वर्ष के बच्चों के लिए है |
देश भक्ति से पूर्ण यह कविता भारत माता के चरणों में वंदन करने का अनुरोध करती है। इस कविता में कवि ने शहीदों के प्राणोत्सर्ग का बखान किया है । कविता मे कहा गया कि अपनों के बीच बैठे परायो से निपटना मुश्किल होता है । अपनी सरल भाषा द्वारा कवि ने कहा है कि लक्ष्य को ही केवल उद्देश्य ना समझकर भुजदंड के बल में सतत वृद्धि करना चाहिए।
3} सारे जहाँ से अच्छा
कवि : मुहम्मद इकबाल रचना : 16 अगस्त 1904 को “इत्तेहाद” नामक पत्रिका मे प्रकाशित
यह कविता 11 से 12 वर्ष तक के बच्चों के लिए है
इस कविता की शैली ग़ज़ल रूप मे प्राप्त होती है | कवि ने सरलतापूर्वक सरस बनाते हुए देशभक्ति की भावनाओ को शब्दों मे पिरोया है | इस कविता में हमारे देश की सनातन संस्कृति एवं भौगोलिक संरचना का सकल विश्व से श्रेष्ठत्व दर्शाया गया है |
4} मातृभूमी
कवि : मैथिलीशरण गुप्त
यह कविता 12 से 13 वर्ष के बच्चों के लिए है |
देशभक्ति से आबद्ध इस कविता में कवि ने उन तथ्यों को उजागर किया है जिसके द्वारा हमारी देह, आवास तथा रिश्ते नातेदारों का अस्तित्व कायम है। कवि ने उल्लेख किया है कि किस प्रकार हमारी देह फलती-फूलती तथा पुष्ट होती हैं। हमने इस धरती पर रहकर कितने सुखों को भोगा है यह सब हमारी मातृभूमि की देन है। वस्तुतः मातृभूमि ही वह व्याप्त तत्व है जो हमारे स्वजनों का भी भरण-पोषण करती है, जिन्हें देखकर हम हर्षित होते हैं।
5} झाँसी की रानी
कवयित्री : सुभद्रा कुमारी चौहान
यह कविता 10 से 11 वर्ष के बच्चों के लिए है |
सन् 1857 के स्वतंत्रता – आन्दोलन के क्रांतिकारीयों मे सम्मिलित “झाँसी की रानी” की यह कविता युगों – युगों तक बच्चों में देश भक्ति की भावनाओं का संचार करती रहेंगी | वीर-रस से आप्लावित यह कविता झाँसी की रानी के अदम्य साहस का सुंदर परिचय प्रस्तुत करती है। इसमें रानी लक्ष्मीबाई की समूची जीवन-गाथा लयबद्ध की गई है।
6} विजय मिली विश्राम न समझो
कवि : बलवीर सिंह रंग
यह कविता 13 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए है |
इस कविता में कवि ने देश भक्ति का सन्देश देते हुए जन – जन को सचेत किया है | स्वतंत्रता प्राप्ति की गतिविधि परिणाम नहीं बल्कि युग का आरंभ है अत: पदलोलुप सत्ताधारियों से इसे बचाकर रखने का कविता मे आवाहन किया गया है | हमने जीत हासिल अवश्य कर ली है परंतु इसे बनाये रखने हेतु हमें सतत क्रियाशील रहना होगा ये मंशा कवि ने प्रकट की है |
7} भारतमाता ग्रामवासिनी
कवि : सुमित्रानंदन पंत
यह रचना 13 से 14 वर्ष के बालकों के लिए है |
इस कविता में भारत माता के ग्रामीण स्वरूप का चित्रांकन हुआ है । कवि ने अपनी देश भक्ति को प्रस्तुत करते हुए ग्रामीण जीवन की सरलता सहजता तथा अभाव मे छिपे कुंठाग्रस्त मानस का सुंदर वर्णन किया है। प्राकृतिक सौन्दर्य को आत्मसात् करते हुए कवि ने भारत माता का वास्तविक निवास गाँव को ही माना है।
8} उठो धरा के अमर सपूतों
कवि : द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी
देशभक्ति से संपूरित यह कविता 10 से 11 वर्ष के बच्चों के लिए है |
इसके अंतर्गत भारतमाता के वीर सपूतो को नवनिर्माण का सन्देश दिया गया है | आज़ादी के पश्चात इस नवीन युग में समस्त सृजन नया हो इसके लिए ज्ञान के शत – शत दीपक प्रज्वलित करने का आग्रह भी कवि ने किया है |
9} समर शेष है
कवि : रामधारी सिंह दिनकर, रचना : 1954
यह कविता 14 से 15 वर्ष तक के बच्चों के लिए है |
यह कविता बाल-मानस मे देशभक्ति का संचार करते हुए दायित्वबोध का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करती है | कवि के ओजस्वी स्वर ने अपने शब्दरुपी तरकस से ऐसे – ऐसे बाण चलाए है जो श्रोता के मर्म को केवल स्पर्श ही नहीं करते अपितु उसपर आघात करके घायल कर देते है | स्वतंत्रता प्राप्ति के सात वर्ष पश्चात भी जब कवि ने देश को अभावग्रस्त देखा तो उनका आक्रोश कविता बनकर फूट पड़ा | यही कारण है कि कविता मे उन्होंने जन – समुदाय को सजग करते हुए कहा कि अभी भीतरघात करनेवाले भ्रष्टाचारी स्वजनों से “समर शेष है” | इसमें उन्होंने तटस्थ मानसिकता को भी कठघरे में खड़ा किया है |
10} पन्द्रह अगस्त
कवि : गिरिजाकुमार माथुर
यह कविता 10 से 11 वर्ष के बच्चों के लिए है |
कवि ने इस कविता के माध्यम से स्वतंत्रता दिवस के उत्सव को मनाते हुए सावधान रहने का अनुरोध किया है | कवि ने सरल सुगम शब्दों मे आबद्ध किया है कि देश की सीमाएं आज खुली हुई है अत: देश के प्रहरी अपनी देशभक्ति हेतु सदैव सतर्क रहें | यद्यपि शत्रु चला गया किन्तु उसकी छाया अभी भी बाकी है |
11} मेरा भारत
कवि : जयशंकर प्रसाद
यह कविता 11 से 12 वर्ष तक के बच्चों के लिए है।
छायावादी कवि प्रसादजी ने भारत के प्राकृतिक सौंदर्य का अद्वितीय वर्णन प्रस्तुत किया है। देश भक्ति की अतुल्य मिठास भरकर भारत की विशालता को कवि ने अनूठे शब्दो द्वारा काव्यबद्ध किया है। भारत देश की सबको आश्रय प्रदान करने की नीति रही है। अस्तु, इस देश की गरिमा को कवि ने कल्पना बद्ध होकर शब्दों द्वारा महिमामंडित किया है |