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11 महिला सशक्तिकरण निबंध

By Rajeev Thakur

महिला सशक्तिकरण निबंध

एक लंबे अर्से से महिला सशक्तिकरण केवल भारत ही नहीं पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है. वास्तव में, महिला सशक्तिकरण से तात्पर्य महिलाओं के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और अन्य क्षेत्रों में उनकी बढती सहभागिता से है. वैश्विक स्तर पर वर्षों से इस दिशा में विभिन्न सरकारों, स्वयंसेवी संगठनों और संयुक्त राष्ट्र जैसी अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने महिलाओं के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों को दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. बहरहाल पश्चिमी और विकसित देशों में महिला सशक्तिकरण की दिशा में तो संतोषजनक परिणाम देखने को मिले हैं परन्तु भारत जैसे विकासशील देशों सहित दक्षिण एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी देशों में महिलाओं को अभी भी अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. महिला सशक्तिकरण से संबंधित इन्हीं सब मुद्दों को समेटे हुए वेबसाइट पर ढ़ेरों आलेख ‘महिला सशक्तिकरण निबंध’ के स्वरुप में उपलब्ध हैं. उन्हीं निबंधों में से 11 चुनिंदा निबंधों कि जानकारी हम यहां आपको दे रहे हैं.

 

1. शोध में महिला सशक्तिकरण

शीर्षक : महिला सशक्तिकरण दशा एवं दिशा

लेखकगण  : श्रीमती पूनम साहू, एवं  डॉ. वासुदेव साहसी

महिला सशक्तिकरण पर यह निबंध एक शोध छात्रा और उसके निर्देशक के शोध का सार यानि संक्षिप्त रूप है. इस निबंध में प्राचीनकाल में समाज में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि मध्य युग और आधुनिक युग के समाज में महिलाओं के प्रति  शोषण की प्रवृति में बढ़ोतरी तो हुई परन्तु साथ ही महिला अधिकारों के प्रति विभिन्न मंचों से आवाजें भी उठनी शुरू हुई. आधुनिक राजनीतिक और शिक्षा व्यवस्था के तहत महिलाओं में आत्मविश्वास का भाव पैदा हुआ और यही महिला सशक्तिकरण का आधार बना. इस निबंध में महिलाओं द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों के साथ भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए सरकारी स्तर पर किए जा रहे प्रयासों का भी उल्लेख किया गया है.

 

2. कैसे लिखें, कितना लिखें और क्या लिखें?

शीर्षक : महिला सशक्तिकरण पर निबंध

लेखक : उपलब्ध नहीं

इस आलेख में महिला सशक्तिकरण पर निबंध लिखने की कला के बारे में बताया गया है. इसके तहत लघु निबंध से लेकर दीर्घ निबंध यानि 100 शब्द से लेकर 800 शब्दों में निबंध कैसे लिखा जाये, शब्दों के हिसाब से निबंध में किन-किन बातों को समाहित किया जाये, निबंध में शीर्षक और उपशीर्षक क्या रखा जाये आदि बातों की जानकारी दी गई है. साथ ही महिला सशक्तिकरण पर एक दीर्घ निबंध भी लिखा गया है जिसमें महिला सशक्तिकरण का अर्थ, अब तक इसमें हुई प्रगति, समय-समय पर इसके तहत हुए सामाजिक सुधार आदि का उल्लेख किया गया है.

 

3. महिलाओं को बराबर का अधिकार मिलना चाहिए

शीर्षक : क्या है महिला सशक्तिकरण?

लेखक : राकेश कुमार आर्य

महिला सशक्तिकरण पर लिखा गया यह निबंध मुख्य तौर पर लेखक के विचार को प्रतिबिंबित करता है. इस लेख में जहाँ महिलाओं कि गुणों का उल्लेख किया गया है वहीँ महिलाओं के विचार-व्यव्हार के नकारात्मक पक्ष पर भी टिप्पणी की गई है. निबंध में महिला के आध्यात्मिक और भौतिक पक्ष का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि उसके बिना सृष्टि और पुरुष, दोनों अधूरे हैं. फिर आगे कहा गया है कि शिक्षा से ही महिला अपने अधिकार को प्राप्त कर सकती है सशक्त बन सकती है. निबंध का निचोड़ यह संदेश देता है कि महिला सशक्तिकरण से ही स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकता है.

 

4. किस हाल में हैं महिलाएं

शीर्षक : भारत में महिलाओं की वर्तमान स्थिति की सामाजिक विवेचना

लेखिका : नीलम यादव

महिला सशक्तिकरण से संबंधित इस दीर्घ निबंध में मुख्य रूप से महिलाओं के वर्तमान हालात का उल्लेख किया गया है. विभिन्न सन्दर्भों का हवाला देते हुए लेखिका ने वैदिक काल से लेकर मध्य काल और फिर आधुनिक भारत में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डाला है. निबंध में महिलाओं के प्रति समाज और पुरुष वर्ग की मानसिकता का उल्लेख करते हुए लेखिका ने स्पष्ट किया है कि महिला सशक्तिकरण तभी हो सकता है जब समाज में महिलाओं के गुणों का आदर होगा और महिलाओं से संबंधित सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का संचालन सही तरीके से हो सकेगा.

 

5. दशा और दिशा पर विमर्श

शीर्षक : नारी सशक्तिकरण : नया विमर्श

लेखिका : श्वेता यादव

भारत में महिला सशक्तिकरण की वर्तमान दिशा और दिशा का उल्लेख करते हुए इस निबंध में लेखिका ने एक तरफ जहाँ महिलाओं के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक प्रगति का उल्लेख किया है वहीँ उन्होंने देश में महिलाओं के एक बड़े वर्ग की दयनीय दशा के लिए समाज की पुरुष प्रधान मानसिकता को दोषी ठहराया है. इस निबंध के माध्यम से लेखिका ने मुख्य तौर पर समाज में महिलाओं की दशा और दिशा पर व्यापक विमर्श करने का प्रयास किया है.

 

6. महिलाओं के हालात पर राजनीतिक विमर्श

शीर्षक : महिला सशक्तिकरण: कितनी हक़ीक़त कितना फ़साना

लेखिका : निर्मल रानी

महिला सशक्तिकरण पर केन्द्रित प्रस्तुत निबंध को राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से लिखा गया है. निबंध के केंद्रबिंदु में महिला आरक्षण और राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को रखा गया है. लेखिका ने इस मुद्दे पर प्रगति और इसमें आनेवाली समस्याओं और विरोधाभासों को निबंध में प्रमुखता से उठाया है.

 

7. क्यों जरुरी है महिला सशक्तिकरण?

शीर्षक : महिला सशक्तिकरण पर निबंध

लेखिका : बबीता सिंह

इस निबंध में लेखिका ने सर्वप्रथम महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता का उल्लेख किया है. फिर महिलाओं की विशेषता और उसके बाद महिलाओं के प्रति समाज के नजरिये के साथ महिला अधिकारों के प्रति बने कानूनों पर चर्चा की है. इस निबंध के माध्यम से लेखिका स्पष्ट सन्देश देना चाहती हैं कि महिला अधिकारों के प्रति कई कानून भले ही बन जाएं परन्तु जब तक समाज द्वारा महिलाओं के महत्व को नहीं स्वीकारा जाएगा तब तक महिला दोयम दर्जे की जिंदगी ही जीती रहेगी.

 

8. प्रगति पथ पर महिला शक्ति

शीर्षक : भारतीय महिला : तेजी से बढ़ते कदम

लेखिका : प्रीती

इस लघु निबंध के माध्यम से लेखिका ने महिला सशक्तिकरण के नकारात्मक पक्ष को गौण करते हुए भारत में महिलाओं द्वारा प्राप्त की गई और की जा रही उपलब्धियों का उल्लेख किया है. इस निबंध का सार स्पष्ट है, अगर वातावरण अनुकूल हो तो महिलाएं प्रगति का रास्ता स्वयं तलाश लेगी. महिलाएं आत्मनिर्भर तो हुई हैं, उपलब्धियां भी हासिल की हैं परन्तु, जिस दिन महिलाएं सामाजिक संकीर्णता से पूर्ण तौर पर मुक्त हो जाएँगी, उसी दिन सशक्तिकरण सही मायने में अर्थपूर्ण कहलाएगा.

 

9. एक पूर्ण विश्लेषण

शीर्षक : महिला सशक्तिकरण क्या है ?

लेखक : उपलब्ध नहीं

महिला सशक्तिकरण पर यह एक दीर्घ निबंध है. इस निबंध में न केवल महिला सशक्तिकरण से संबंधित चुनौतियों का उल्लेख किया गया है बल्कि साथ ही संभावनाओं पर भी विस्तृत चर्चा की गई है. निबंध में मुख्य रूप से भारत में महिला अधिकारों के प्रति सविधान में किए गए प्रावधान और इसके लिए समय-समय पर बने कानूनों का भी उल्लेख किया गया है. इस निबंध की सबसे बड़ी खासियत महिलाओं द्वारा प्राप्त की गई उपलब्धियों का क्रमवार ब्यौरा है.

 

10. महिला जीवन मूल्यों में आमूलचूल परिवर्तन

शीर्षक : नारी सशक्तिकरण की सार्थकता

लेखक : डॉ. राम लखन मीणा

इस निबंध में लेखक ने सभी युगों में महिलाओं के जीवन और उनके हालात का विस्तृत विवरण दिया है. युग दर युग समाज में बदलती महिलाओं की भूमिका, महिलाओं के प्रति समाज का बदलता नजरिया और साहित्य-सिनेमा में महिलाओं के चित्रण का वर्णन इस निबंध की सबसे बड़ी खासियत कही जा सकती है. निबंध के अंत में लेखक स्वीकार करते हैं कि अब तक महिलाओं की जीवन दशा में जो परिवर्तन आया है उसे एक स्वस्थ समाज का परिचायक माना जाना चाहिए.

 

11. शिक्षा से ही सशक्तिकरण

शीर्षक : शिक्षा में छिपा है महिला सशक्तिकरण का रहस्य

लेखक : राजू कुमार

इस निबंध में लेखक ने महिला सशक्तिकरण के लिए शिक्षा को सबसे बड़ा शस्त्र बताया है. लेखक का मानना है कि जब महिलाएं शिक्षित होंगी तो वह अपने अधिकारों के प्रति अधिक से अधिक जागरूक होंगी. निबंध में महिलाओं के पिछड़े होने की परिस्थितियों का भी वर्णन किया गया है. साथ ही शिक्षा से महिलाओं में जागरूकता का संचार कैसे हुआ और उसका क्या परिणाम हमारे सामने है, इसका भी उल्लेख निबंध में सकारात्मक तरीके से किया गया है.

– राजीव कुमार ठाकुर

 

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