कपोल-कल्पना के साथ, अन्य विधाओं की तुलना में विज्ञान कल्पना-साहित्य विधा को भी शब्द-निर्माण के पदों में अधिक मांगों से भरा माना जा सकता है। विज्ञान कल्पना-साहित्य मांग करता है कि आपकी कहानी में सभी चीजों को वैज्ञानिक आधार का होना चाहिए, यदि उनकी पुष्टि नहीं भी की गई हो, विशेषतः यदि आप टेलीपोर्टेशन या अंतरिक्ष यात्रा के संबंध में कहानी लिख रहे हैं। कपोल-कल्पना से तुलना करते हुए, जिसमें जगत-निर्माण पूर्णरूपेण आपकी सृजनशीलता पर तथा इस पर निर्भर करता है कि आप उस जगत के जादुई पहलुओं की किस तरह से व्याख्या करना चुनते हैं, विज्ञान कल्पना-साहित्य में प्रत्येक चीज को व्याख्या की आवश्यकता है जिसका एक परिमेय अर्थ होता है। यही कारण है कि जब आप विज्ञान कल्पना-साहित्य कहानी लिख रहे हैं तब आपको कुछ चीजों को मन में धारण करने की आवश्यकता है। निम्नलिखित पाँच ऐसी चीजें हैं।
1. प्रामाणिक जगत
विज्ञान कल्पना-साहित्य के पाठक असंभव को स्वीकार करने के लिए प्रस्तुत रहेंगे, जब तक इसकी उचित व्याख्या की गई है, और यदि व्याख्या का अर्थ निकलता है। इसका अर्थ है कि जिस जगत में आपकी कहानी घटित होती है उसे विश्वसनीय होने की आवश्यकता है –शब्द के सभी अर्थों में मौलिक। अवश्य ही, उदाहरण के लिए, पोर्टल्स के संबंध में लिखने से आपके केवल इसीलिए बचना नहीं चाहिए कि किसी अन्य व्यक्ति ने इसके संबंध में कोई कहानी कह दिया है। इस उदाहरण में, पाठक यह जानना चाहेंगे, कि कोई व्यक्ति टेलीपोर्ट कैसे कर सकता है; इसके पीछे क्या यांत्रिकी है; और इस प्रौद्यौगिकी का उपयोग कैसे किया जाएगा। और यहीं आप एक लेखक के रूप में किसी ऐसी वस्तु पर एक नया परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए आते हैं जो पहले से ही सुपरिचित है।
2. अज्ञात तत्व
विज्ञान कल्पना-साहित्य हमारे जगत के उन अंशों से संबद्ध है, जो ज्ञात होते हुए भी, उस स्तर पर ले जाए जाते हैं जो वर्तमान-काल के पाठकों के लिए अज्ञात है। यही कारण है कि विज्ञान कल्पना-साहित्य में शब्द निर्माण इतनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है – अवस्थापन कथानक, घटना-क्रम एवं पात्रों के दैनंदिन जीवन का अंश बन जाता है। घटना-क्रम से परिपूर्ण, पीछा करने वाले दृश्य हमेशा मजेदार होते हैं, परंतु जब यह एक ऐसे जगत में होता है जो हमारे जगत के समान नहीं है, तब यह उल्लासपर्ण बन जाता है। यह दैनंदिन जीवन से पलायन में वृद्धि करता है तथा पाठक का परिवहन एक ऐसे जगत में करता है जो पहचाने जाने के बिल्कुल अयोग्य है, और अतः, अधिक उत्तेजक है।
3. सत्याभासी आधार
जिस जगत का आप निर्माण कर रहे हैं उसे स्वीकार्य होना चाहिए। भविष्य संबंधी प्रौद्यौगिकी का परिचय कराते हुए आप पगडंडियाँ नहीं ले सकते, प्रौद्यौगिकी कैसे कार्य करती है इस पर विश्वसनीय व्याख्या दिए बिना, यह आजकल के औसत पाठक को जादुई लग सकती है। इसका अर्थ है कि जिस प्रौद्यौगिकी को आप प्रयोग में लाना चाहेंगे उसमें आपको ढेर सारा शोध करना है। और यह भी, कि यदि आप भविष्य संबंधी संसार के बारे में लिख रहे हैं, तब आपको वर्तमान काल और दिन से आरंभ करते हुए घटनाओँ की एक समयरेखा का सृजन करने की आवश्यकता है कि वह जगत अस्तित्व में कैसे आया था। इसके विकल्प के रूप में, यदि आप कोई कहानी लिख रहे हैं जिसके अवस्थापन की अवधि आज से 100 वर्ष बाद है, तब घटनाओं की वह समय रेखा, जिसने आपके जगत को आकार दिया था, भविष्य के किसी बिंदु से आरंभ हो सकती है।
4. विज्ञान के नियम
विज्ञान के नियम तोड़े जा सकते हैं, परंतु विज्ञान कल्पना-साहित्य के लिए ऐसा किया जाना वांछनीय नहीं है। यदि आप कोई नियम तोड़ने जा रहे हैं, तब इसकी पुष्टि करने के लिए कोई वैज्ञानिक खोज रहनी चाहिए, इस प्रकार यह एक नया वैज्ञानिक नियम बन जाएगा जो विशेष रूप से आपके जगत में कार्यकारी है। तथापि, इसे भी किसी वैज्ञानिक आधार की आवश्यकता है जो वैज्ञानिक रूप से सत्याभासी है, जिसका अर्थ है कि आप अत्यंत अयथार्थवादी नहीं बन सकते। इसलिए विज्ञान, भौतिकी तथा रसायन के नियमों के साथ संलग्न रहिए, तथा सुनिश्चित कीजिए कि आप जिस किसी भी चीज की सृष्टि करते हैं, जिसे यदि आज के आधुनिक विज्ञान के द्वारा पूर्णतः प्रमाणित नहीं भी किया जा सके, तब भी, कम-से-कम सिद्धांतों में इसकी व्याख्या की जा सकती है।
5. पात्र की प्रवृत्ति
विज्ञान कल्पना-साहित्य में कहने के बदले दर्शाने के लिए सबसे बढ़िया उपाय है अपने जगत के प्रति पात्र की प्रवृत्ति। सामान्यतः, पाठक के लिए सब-कुछ अपरिचित, विचित्र, नवीन एवं रोमांचक होगा। परंतु आपके पात्रों के लिए इस प्रकार होना आवश्यक नहीं है। उदाहरण के लिए, यदि आपके जगत में टेलीपोर्टेशन 30 वर्ष से अधिक के लिए अस्तित्व में है, तब आपके अग्रणी तथा अन्य पात्र इसके साथ सुपरिचित होंगे तथा इस पर किंकर्त्वयविमूढ़ नहीं होंगे। क्या सामान्य है और क्या नया, इसका वर्णन करने के लिए सबसे अच्छा उपाय है आपके जगत के प्रति आपके पात्रों की प्रवृत्ति, विशेष रूप से, यदि जो नया है वह आपकी कहानी के बृहत्तर कथानक का अंश है।
Image credit: L.E. Spry on flickr and reproduced under Creative Commons 2.0[author] [author_image timthumb=’on’]https://writingtipsoasis.com/wp-content/uploads/2014/12/photo.jpg[/author_image] [author_info]Georgina Roy wants to live in a world filled with magic.
As an art student, she’s moonlighting as a writer and is content to fill notebooks and sketchbooks with magical creatures and amazing new worlds. When she is not at school, or scribbling away in a notebook, you can usually find her curled up, reading a good urban fantasy novel, or writing on her laptop, trying to create her own.
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