अपनी अवसंरचनाओँ एवं आर्थिक संसाधनों के साथ दिल्ली, किसी भी प्रकार की सांस्कृतिक सक्रियता के लिए एक उत्तम मंच है। दिल्ली में संगठनों, सक्रियताओं और कार्यक्रमों का आयोजन करना, भारत के लगभग अन्य किसी भी स्थान की अपेक्षा अधिक आसान है। आइए, दिल्ली और इसकी साहित्यिक दुनिया के संबंध में कुछ तथ्यों पर विचार करते हैं।
1. भारत की साहित्यिक राजधानी
आनंद का विषय है कि कलकत्ता से यह उपाधि अभिग्रहण करते हुए, गत दो दशकों में, दिल्ली ने एक मजबूत साहित्यिक चक्र का गठन करने में कई बड़े चरण लिए हैं। अपने पुस्तकालयों, अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक कार्यक्रमों, और पुस्तक उत्सवों के साथ, दिल्ली अधिक बारंबारता से साहित्यिक चर्चा में रहती है। प्रकाशन कंपनियों की विशाल संख्या के साथ, दिल्ली नए तथा प्रतिष्ठित लेखकों के लिए एक वरदान है। अधिकांश आला दर्जे की प्रकाशन कंपनियाँ भी दिल्ली में प्रतिष्ठित हैं। यह सभी इस नगर को भारत की साहित्यिक राजधानी बनने की योग्यता प्रदान करते हैं।
2. दिल्ली के साहित्य उत्सव
2013 में दिल्ली को पहली बार अपना साहित्य उत्सव मिला था। प्रतिवर्ष अप्रैल में आयोजित, यह उत्सव दो दिनों तक चलता है। प्रतिष्ठित लेखकों तथा उनके साथ-साथ नए लेखकों, पाठकों और प्रकाशकों को भी प्रोत्साहन देते हुए, दिल्ली साहित्य उत्सव कई कार्यक्रमों, भाषणों, पुस्तक-पठनों, पैनल चर्चाओँ, पुस्तक लोकार्पणों और कार्यशालाओं को सम्मिलित करता है। उदीयमान लेखकों के लिए नेटवर्क करने तथा नई अवधारणाओँ को विकसित करने के लिए यह बहुत बढ़िया अवसर है।
3. विश्व पुस्तक मेला
दिल्ली में, केवल साहित्य उत्सव ही एकमात्र बड़ा पुस्तक कार्यक्रम नहीं है। विश्व पुस्तक मेला भी अत्यंत लोकप्रिय है जो दिल्ली में प्रतिवर्ष जनवरी तथा फरवरी में आता है और प्रगति मैदान में आयोजित किया जाता है। भारत में सबसे पुराना पुस्तक मेला, यह कार्यक्रम 1972 से चलता आ रहा है और इसे नैशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इंडिया के द्वारा आयोजित किया जाता है। इस कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए दुनिया भर से दस लाख से अधिक व्यक्ति आते हैं। यह वैश्विक रूप से सबसे बड़ा पुस्तक कार्यक्रम है और यह दिल्ली को वैश्विक रूप से साहित्यिक मानचित्र पर रखता है।
4. दिल्ली के लेखक
लेखकों, कवियोँ और नाटककारों को उत्पन्न करने की अपनी क्षमता के कारण दिल्ली ने हमेशा साहित्यिक दुनिया में एक ऊँचा स्थान रखा है। 1600 में, अपनी कविता से लोगों के दिलों को जीतने वाले ग़ालिब से लेकर बुकर पुरस्कार विजेता और भारत के पुस्तक प्रेमी संसार में प्रकाश बिंदु में आने वाली अरुंधती राय तक, दिल्ली एक ऐसा स्थान रहा है जहाँ एक बड़ी संख्या में लेखक रहते हैं और काम करते हैं। दिल्ली में निवास करने वाले, अतीत एवं वर्तमान के प्रसिद्ध लेखकों में विक्रम सेठ, मंजु कपूर, अशोक वाजपेई, विलियम डैलिरिम्पल और रक्षंदा जलील, और कई अन्य सम्मिलित हैं।
5. पुस्तकालय
दिल्ली में भारत के सबसे बढ़िया संग्रह वाले पुस्तकालय हैं। अपने शीर्षकों की विशाल संख्या के लिए प्रसिद्ध ब्रिटिश काउंसिल लाइब्रेरी तथा अमेरिकन सेंटर लाइब्रेरी के अतिरिक्त, दिल्ली, दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी पर भी गर्व कर सकती है, जिसके पास केवल विभिन्न विषयों पर पुस्तकों की विशाल संख्या ही नहीं है, बल्कि यह कई विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित करता है। इस पुस्तकालय में एक उत्कृष्ट ‘पहियों पर पुस्तकें’ सेवा भी है, जो घर बैठे आवासियों के लिए पुस्तकों के लिए पहुँच आसान कर सकती है। विश्वविद्यालयों के भी पुस्तकालय हैं और इंडिया हैबिटैट लाइब्रेरी भी है। इसके अतिरिक्त, दिल्ली में छोटे निजी पुस्तकलयों की भी एक बड़ी संख्या है।
6. हिंदी और उर्दू साहित्य
मुगलों की राजधानी होने के कारण, दिल्ली ने दीर्घकाल तक उच्चकोटि के उर्दू साहित्य का उत्पादन किया था, परंतु स्वतंत्रता से ले कर गत 6 दशकों में, यह हिंदी साहित्य का केंद्र बन गया है, जो अतीत में उत्तर प्रदेश के वाराणसी तथा इलाहाबाद जैसे कुछ सांस्कृतिक केंद्रों तक सीमित था। दिल्ली से उल्लेखनीय हिंदी लेखक हैं, उदय प्रकाश, निखिल साचान और दिव्य प्रकाश दुबे।
7. दिल्ली में पुस्तकें
अंत में, दिल्ली में वह सारी चीजें हो सकती हैं जो अन्य सभी साहित्यिक केंद्रों के पास हैं, परंतु इसके पास कुछ अधिक है – नगर पर आधारित पुस्तकों की श्रृंखला के लिए प्रेरणा। इस नगर पर अपने अनुभवों के संबंध में लिखते हुए विलियम डैलिरिम्पल से लेकर नगर के इतिहास के गिर्द एक कवितामय कहानी बुनने वाले खुशवंत सिंह तक, 1857 में दिल्ली की दशा के संबंध में लिखने वाले महमूद फरुकी से लेकर दिल्ली के इतिहास और चरित्र का वर्णन करने वाली रंजना सेनगुप्त तक, दिल्ली पर लिखी गई पुस्तकों की एक बहुत बड़ी संख्या है। लंदन, जेरुसालेम और पैरिस जैसे विश्व के बहुत कम नगरों को यह सम्मान मिला है, और दिल्ली उनके प्रतिष्ठित दर्जे के साथ जुड़ गई है।
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