आपकी कहानियों में एक के बाद एक दृश्यों को प्रवाहित होना चाहिए, जैसे डोमिनोज़ के ब्लौक। आप पहला सफल प्रयोग करते हैं और शेष अंत तक अनुसरण करते हैं। परंतु, आपने जो कुछ लिखा है उसे दोहराते समय यदि आपको वह अनुभव नहीं होता जिसे आपने लिखा है, तब आपको अपने दृश्यों की पुनःसंरचना करने की आवश्यकता है। किसी दृश्य की कोई भी पूर्वनिर्धारित दीर्घता या शब्दों की संख्या नहीं होती जिन्हें आपको लिखना ही है। वास्तव में, यदि आपने इसे ठीक-ठीक किया है, तब किसी भी दृश्य को कुछ ही शब्दों में दर्शाया जा सकता है। नीचे आप पाएँगे कि दृश्य को किसका प्रयोजन होता है, यह कैसे आरंभ होता है, और कैसे आपको यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता होती है कि अगला दृश्य तर्कपूर्ण परिणाम है।
1. किसी लक्ष्य के साथ आरंभ कीजिए
पाठक प्रतिक्रियावादी नायकों की अपेक्षा सक्रिय नायकों के संबंध में पढ़ना पसंद करते हैं। इसका अर्थ है कि आपकी पुस्तक के प्रत्येक दृश्य में और प्रत्येक क्षण में आपके नायक के पास कोई लक्ष्य होना चाहिए। ; किसी चीज पर पहुँचने के लिए एक अंतहीन संघर्ष। अवश्य ही, अन्य पात्रों के पास भी साधन होने चाहिए, और उनके अपने लक्ष्यों का नायक के लक्ष्यों के साथ टकराव होना चाहिए। आपके नायक को अन्य व्यक्ति के साथ प्रतिद्व्न्द्विता में उतरने के लिए शक्तिशाली अभिप्रेरणा की आवश्यकता होगी, और इसे आपको निश्चित रूप से दृश्य के आरंभ में स्थापित करना है। तब, जब आप नायक के लक्ष्य के साथ किसी दूसरे पात्र, या अवरोध को जोड़ते हैं, आप अपने दृश्य को द्व्न्द्व की ओर ले गए हैं।
2. संघर्ष और द्व्न्द्व
संघर्ष, दो पात्रों के बीच कोई शारीरिक लड़ाई या बुद्धि एवं इच्छाशक्ति का युद्ध हो सकता है। यह किसी वन-प्रांतर में उत्तरजीविता के लिए संघर्ष भी हो सकता है। और, उस तनाव के स्तर पर निर्भर करते हुए जिसे आप उड़ेलना चाहते हैं, यह दो मित्रों के बीच कोई सामान्य मतभिन्नता भी हो सकती है जिसके परिणाम होंगे। तथापि, द्व्न्द्व नायक के लक्ष्य से उत्पन्न होना चाहिए। और चूंकि आरंभ में ही लक्ष्य की प्राप्ति पुस्तक के पूरे कथानक का समाधान कर देगी, परामर्शयोग्य यह है कि नायक अपने नियत कार्य में असफल हो जाए।
3. असफलता और त्रासदी
यदि प्रत्येक दृश्य में नायक सर्वदा अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है, तब तनाव नहीं रहेगा और कहानी एक सपाट रेखा बन जाएगी जिससे पाठक ऊब जाएंगे। किसी दृश्य में त्रासदी की सृष्टि करने के लिए दो उपाय हैं। पहला उपाय है नायक को उसकी लक्ष्य की प्राप्ति में असफल बना देना। दूसरा उपाय है, यदि नायक अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर ले तब उसके लिए सर्वनाशी परिणामों की सृष्टि करना। इसका अर्थ है कि कुछ परिणाम थे जिनका पुर्वनुमान नायक ने नहीं किया था। फिर भी, परिणामों को अधिक स्पष्ट नहीं बनाएँ—अन्यथा नायक को विचारहीन, अविवेकी और उतावले का लेबल दे दिया जाएगा।
4. प्रतिक्रिया समय
त्रासदी के पल के दौरान, जो सब कुछ होता है उसे नायक होने देता है। इसके बाद जो घटनाएँ हुई थीं उन पर उसकी प्रतिक्रिया होती है। यही कारण है कि त्रासदी पर्याप्त घोर होनी चाहिए; अन्यथा प्रतिक्रिया का समय संक्षिप्त एवं अनावश्यक होगा। तब भी, यदि आपने नायक के लिए किसी महत्वपूर्ण लक्ष्य तथा किसी त्रासदी की सृष्टि का प्रबंध कर लिया है जिसका पूर्वानुमान किसी भी पाठक ने नहीं किया होगा, तब प्रतिक्रिया का समय केवल आवश्यक ही नहीं बल्कि महत्वपूर्ण होगा। क्योंकि प्रतिक्रिया के बाद, जो सदमा, अविश्वास या आतंक भी हो सकता है, नायक को शांत होने, और दृश्य के अंतिम अंश में पहुँचने की आवश्यकता पड़ेगी, जो चिंतन है।
5. चिंतन और निर्णय
यह दृश्य का सबसे महत्वपूर्ण अंश है, क्योंकि इसे अगले दृश्य की बुनियाद रखने की आवश्यकता है। चिंतन करते हुए, नायक को समझने की आवश्यकता होती है कि क्या गलत हो गया था, क्यों यह गलत हो गया था, और अब वह आगे क्या करेगा। उसे अपनी अगली क्रियाविधि का चयन करने की आवश्यकता होगी, और एक निर्णय लेना पड़ेगा जिससे कथानक अग्रसर होगा। स्मरण रखें, नायक के पास, क्या करना है, इसके संबंध में अनेक विकल्प होने चाहिए, और उसे सदा उसी क्रियाविधि का चयन करना चाहिए जो सफलता की गारंटी नहीं देती है। दृश्य के अंतिम अंश में आपका लक्ष्य होगा – पात्र के लिए सहानुभूति की सृष्टि करना: उसने सबसे अच्छा प्रयास किया था, वह सफल नहीं हुआ था, और नायक के पास अब जो विकल्प रह गए हैं वह केवल अधिक त्रासदी की ओर ले जा सकते हैं। अपने पात्रों को, निकलने के लिए सहज पथ लेने की अनुमति कदापि नहीं दें, क्योंकि यह केवल अनपेक्षित शक्ति या घटना के द्वारा आशाहीन स्थिति से बचाए जाने की मांग करता है।
Image credit: Pixabay[author] [author_image timthumb=’on’]https://writingtipsoasis.com/wp-content/uploads/2014/12/photo.jpg[/author_image] [author_info]Georgina Roy wants to live in a world filled with magic. As an art student, she’s moonlighting as a writer and is content to fill notebooks and sketchbooks with magical creatures and amazing new worlds. When she is not at school, or scribbling away in a notebook, you can usually find her curled up, reading a good urban fantasy novel, or writing on her laptop, trying to create her own.
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