किसी अच्छी कहानी को पात्रों, दृश्यों एवं अवधारणाओं की आवश्यकता होती है जो पाठकों को पृष्ठ एक से अंत तक अटकाए रखें। जो भी हो, वह रोचक कथानक ही है जो किसी अच्छे उपन्यास को महान बनाता है। यदि आपका कथानक ठीक नहीं लिखा गया है, तब आपकी कहानी असफल हो गई है। लेखक अपने द्वारा रचे गए संसार में सरलता से खो जाते हैं, और उन कहानियों को उत्पन्न करते हैं जो सपाट हैं, या जिन्हें समझना असंभव है। किसी रोचक, अत्यंत आकर्षक कथानक की सृष्टि करना उतना कठिन नहीं है, जब तक आप निम्नलिखित तकनीकों को याद रखते हैं।
1. प्रस्तावना के साथ आरंभ करें
क्यों? मैं आपको प्रश्न करते हुए सुनता हूँ। इसे पहले कई बार किया जा चुका है! सत्य है, और यह कार्यकारी है। यदि इसे सही किया जाए, तब यह कोई रूढ़ोक्ति नहीं है। प्रस्तावनाएं किसी महान उपन्यास का शक्तिशाली आरंभ हो सकती हैं। नहीं, यह घटना-क्रम का आरंभ नहीं है, बल्कि यह घटना-क्रम का कारण है। यह वही है, जो कहानी को अग्रसर करता है। विधा पर निर्भर करते हुए, प्रस्तावनाओं के आकार पृथक होते हैं, परंतु उनका उद्देश्य एक ही होता है: दृश्य, दुनिया और पात्रों की प्रतिष्ठा करना, यद्यपि पात्र इसके साथ तुरंत संयोजित प्रतीत नहीं होते।
2. अध्याय दो से आरंभ कीजिए
अनेक लेखक पात्रों के जीवनों को स्थापित करना घटना-क्रमों को आरंभ करने से अधिक आवश्यक समझते हैं। तथापि, अपने प्रारूप में सीधे अध्याय दो पर उछल आने का प्रयास कीजिए, और देखिए कि क्या होता है! वह घटना-क्रम ही है जो पाठक को आपकी दुनिया में खींचता है, विशेषतः यदि नायक का जीवन संकट में होता है। नहीं, हमें वास्तव में यह जानने के लिए कोई भी प्रयोजन नहीं है कि आपकी नायिका प्रतिदिन सुबह 7 बजे नींद से जग उठती थी और सोचती थी कि वह क्या थी, वह कैसी दिखती थी, और अपने संबंध में क्या अनुभव करती थी। जिसे हमें दर्शाए जाने की आवश्यकता है वह यह है कि वह सामान्य जीवन से हट कर कुछ कर रही है। उपन्यास में, सोचने के लिए और उसे बेहतर जानने के लिए समय बाद में है।
3. सामान्य से अलग सोचिए
कुछ लेखक लिखना आरंभ करने से पहले कथानक निर्धारित कर देते हैं। कुछ लेखक अचंभित होना चाहते हैं और लिखते-लिखते कुछ आगे की योजना बनाते हैं। यह महत्वपूर्ण नहीं है– दोनों प्रकार के उपन्यासकार महान कथानक के साथ चौंका देने वाले अच्छे उपन्यास उत्पन्न कर सकते हैं। अपना उपन्यास लिखते हुए, या दृश्य-दर-दृश्य, कथानक की रूपरेखा तैयार करते हुए, जब बात आपके दृश्यों पर और इस पर आती है कि आपकी कहानी कैसे आगे बढ़ती है, तब सामान्य से अलग हो कर सोचना अधिक महत्व रखता है। किसी दृश्य को लिखने से पहले इस पर कई अवधारणाओँ और परिणामों पर मंथन करें, और मन में आने वाले पहले परिणाम या निष्कर्ष का उपयोग कभी भी नहीं करें। यह निश्चित रूप से एक रूढ़ोक्ति है। आप जानते हैं कि क्यों? क्योंकि आपने इसे कई-कई बार (उपन्यासों में) पढ़ा है और (चलचित्रों में) देखा है।
4. प्रत्येक दृश्य में तनाव पर नियंत्रण करें
कोई भी उपन्यास अत्यंत उच्च तनाव से भरे दो दृश्यों से अधिक नहीं संभाल सकता। फिर भी, कोई अत्यंत कम तनावपूर्ण दृश्यों वाला उपन्यास सपाट लगेगा। इसकी कुंजी है, प्रत्येक दृश्य में नायक को कोई उद्देश्य दिया जाना, और, इस पर निर्भर करते हुए कि कथित उद्देश्य को उपलब्ध करना कितना कठिन है, तनाव का नियंत्रण करना। इसे करने के लिए “दिखाएँ और कहें” का उपयोग कीजिए: पात्र की कार्यवाहियों और भावनाओं को जितना अधिक दिखाया जाता है, तनाव उतना ही बढ़ता है। चूंकि दृश्य-गतिकी महत्वपूर्ण है, इसलिए, यदि तनाव बहुत बढ़ जाता है, परंतु यह इसके लिए उचित अवसर नहीं है, तब चीजों को ठंढा करने के लिए “कहें” का प्रयोग कीजिए। इस उपाय से, पाठक इसमें हमेशा रुचि लेंगे कि आपका नायक क्या कर रहा है, परंतु अंतहीन घटनाक्रमों कभी भी ऊबेंगे नहीं।
5. उपकथानकों और समांतर कथानकों के साथ चीजों को चटपटा बनाइए
अपने उपन्यास में एकाधिक उपकथानक रखिए, और सुनिश्चित कीजिए कि इनमें से एक-दो मुख्य कथानक के लिए निर्णायक हैं। सबसे सामान्य उदाहरण है नायक के चरित्र में घुमाव। यदि नायक आधारभूत रूप से अपने अंतःकरण को परिवर्तित नहीं करता है, तब पाठक निराश हो जाएँगे। अपने पात्रों को रहस्य दीजिए, और उनका खुलना उपकथानक हो सकता है। दूसरा विकल्प है किसी प्रतिरूप, समांतर कथानक की सृष्टि करना। आजकल कई उपन्यास केवल दो समांतर कथानकों को लेकर एकाधिक विधाओं को सम्मिलित करते हैं। उदाहरण के लिए, कोई अच्छा विज्ञान कथा-साहित्य उपन्यास किसी रोमांस उपन्यास के रूप में देखा जा सकता है – उस संबंध के कारण जिसका निर्माण नायक और उसकी प्रेमिका के बीच किया गया था। समांतर कथानकों को सदा एक-दूसरे पर निर्भर रहना पड़ता है – यह पाठक को दर्शाते हैं कि यदि दूसरे कथानक का बहिष्करण कर दिया जाता, तब पहले का परिणाम बहुत अलग होता।
Image credit: David Goehring on flickr and reproduced under Creative Commons 2.0[author] [author_image timthumb=’on’]https://writingtipsoasis.com/wp-content/uploads/2014/12/photo.jpg[/author_image] [author_info]Georgina Roy wants to live in a world filled with magic.
As a 22-year-old art student, she’s moonlighting as a writer and is content to fill notebooks and sketchbooks with magical creatures and amazing new worlds. When she is not at school, or scribbling away in a notebook, you can usually find her curled up, reading a good urban fantasy novel, or writing on her laptop, trying to create her own.
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