अच्छे लेखन को पाठकों को एक सुंदर जगत में ले जाना चाहिए, जो उन काल्पनिक प्राणियों और चरित्रों से भरा हुआ है, जो अपनी इच्छा रखते प्रतीत होते हैं। तथापि, कभी-कभी पुस्तक में कुछ तत्व होते हैं जो पाठक को अचानक कहानी से बाहर ला देते हैं, और इस प्रकार पुस्तक की गुणवत्ता के साथ समझौता करते हैं। इन्हीं गलतियों से लेखकों को अवगत रहने की, और इससे पहले कि वे कुख्याति अर्जित कर लें, इन्हें ठीक करने के लिए चरण लेने की आवश्यकता है। यद्यपि कई सर्वनिष्ठ लेखन समस्याएँ हैं जो बहुधा लेखक की प्रथम पुस्तक में दिखाई देती हैं, इनमें सबसे प्रत्यक्ष गलतियों की यहाँ जाँच करें।
1. कहना नहीं, दर्शाना
कहानी लिखने के साथ एक बड़ी समस्या सामने आती है कि लेखक आपसे सभी चीजें केवल सपाट पदों में कहते हैं। जहाँ यह हमेशा एक समस्या नहीं है, यह समस्या बन सकती है जब पाठकों को, इसके बदले कि उन्हें निष्कर्ष पर स्वयं पहुँचने दिया जाए, सूचना का अतिरिक्त-भार दे दिया जाता है। यही वह चीज है जो किसी अच्छे लेखक को औसत लेखक से पृथक करती है। यह दूसरे और पहले के बीच एक क्षीण रेखा है जिस पर कैसे चला जाए इसे किसी लेखक को अवश्य सीखना चाहिए। किसी कहानी को केवल कह देना सर्वदा अच्छा होता है जिससे पाठक अनुभव करें कि क्या हो रहा है जैसे कि वे बाहर के अनुरक्त दर्शक नहीं, बल्कि स्वयं कहानी के अंदर हैं।
2. शब्दों की दीवार
एक चीज जिसका कोई भी पाठक सामना नहीं करना चाहता वह है व्याख्यान की दीवार जो बस चलती रहती है। चाहे आपके विवरण कितने भी कुशल क्यों न हों, आपके चरित्रचित्रण अति विस्मयकारी क्यों न हों, आपका कथानक कितना भी अद्भुत क्यों न हो, यदि आप अपने पाठकों को नियमित मध्यांतरों पर विराम नहीं देते तब उन्हें अनुभव होता है कि उन पर शब्दों की गोलाबारी की जा रही है। अवश्य ही, पैराग्राफ्स की दीर्घता समान नहीं होनी चाहिए और पैराग्राफ का उद्देश्य व्याख्यान को समान रूप से वितरित करना नहीं है, परंतु एक बिंदु से अगले बिंदु पर रूपांतरित करना है। अपने शब्दों को व्याख्यान के रुचिकर कौरों में तोड़ें और अंत में यह आपके पाठक को यह सरलतर और दीर्घ काल में आनंददायक लगेगा।
3. अंतहीन दोहराव
दोहराव दो प्रकार से किए जा सकते हैं। एक है कुछ पसंद के शब्दों का अतिशय उपयोग जिन्हें आप जानते भी नहीं हैं कि आप उनका व्यापक रूप से प्रयोग कर रहे हैं। ‘वास्तव में’ और ‘बहुत’ जैसे शब्द बहुधा इस श्रेणी में आते हैं। जहाँ तकनीकी रूप से यह कोई त्रुटि नहीं है, वहीं यह एक घिसे-पिटे लेखन की ओर ले चलता है। बार-बार एक ही शब्दों का आश्रय लिए बिना भी आप अपने अर्थों को अभिव्यक्त करने के लिए अधिक रचनात्मक उपाय ढूँढ़ सकते हैं। दूसरे प्रकार की पुनरावृत्ति तब होती है जब लेखक एक ही चीज को भिन्न शब्दों में, और कभी-कभी उन्हीं शब्दों में बार-बार कहता है। यह कथा को आगे ले जाने में सहायता नहीं करता और पाठक के लिए उबाऊ बन जाता है। इसके लिए समाधान यही हो सकता है कि उसी चीज को घटनाओं एवं कथानकों के द्वारा दर्शाया जाए तथा असंबद्ध तथ्यों को संपादन करते हुए निकाल दिया जाए।
4. अभिज्ञेय सर्वनाम
सर्वनाम का वर्णन उस शब्द के रूप में किया जाता है जो किसी संज्ञा का स्थान लेता है। संक्षेप में, प्रत्येक बार कर्ता के उल्लेख से बचने के लिए, सर्वनाम का प्रयोग संज्ञा के बदले में किया जाता है। सर्वनाम का उद्देश्य कर्ता को इंगित करना है। अब, यदि आपके सर्वनाम यह नहीं कर रहे हैं, तब आप उनका सही उपयोग क्यों नहीं कर रहे हैं। कई पुस्तकों में, जब वे इसके बारे में बातें कर रहे होते हैं, तब यह समझना अत्यंत कठिन हो जाता है कि लेखक किसका उल्लेख कर रहा है। यह एक लापरवाह लेखन है और पाठक के लिए असम्मानकारी है। जब तक आप यह नहीं सोचते सभी के लिए कि स्पष्ट करने के लिए संदर्भ ही पर्याप्त होना चाहिए, इसे सुनिश्चित कीजिए कि आप अपने लेखन में क्या और किसे उल्लेख कर रहे हैं।
5. रूढ़ोक्तियों से बचें
जब किसी चीज का उपयोग अक्सर तथा दीर्घकाल से किया गया है, तब यह रूढ़ोक्ति का प्रतिष्ठित स्थान ग्रहण कर लेती है। कभी-कभी जिसे आप सूचित करना चाहते हैं उससे लोगों को जोड़ना सरल करने के लिए, रूढ़ोक्तियाँ अत्यंत उपयोगी हो सकती हैं। आपके वाक्यांश-गठनों या कथावाचन में, रूढ़ोक्तियों की अति होना, अंतिम उत्पाद को अच्छी दिशा में नहीं ले जाता। यह पाठकों को अनुभव करने के लिए प्रेरित करता है के वे किसी मौलिक-वस्तु को नहीं पढ़ रहे हैं और यह सब पहले किया जा चुका है। प्रत्येक पुस्तक के लिए पाठक के लिए एक नया अनुभव लाना आवश्यक नहीं है। इसलिए अतिशय उपयोग किए गए वाक्यांशों का अंत कीजिए। उन बहु-प्रयुक्त अलंकारों के उपयोग से बचिए जो विधा के परिभाषा-चिन्ह बन गए हैं। साधारण से ऊपर उठते हुए कोई ऐसी चीज लिखिए जो मूलतः ताजी और अनछुई हो। आपके पाठक आपके प्रयासों का मान करेंगे।
Image credit: Pixabay
[author] [author_image timthumb=’on’]https://writingtipsoasis.com/wp-content/uploads/2015/02/IMG_20141217_101736441.jpg[/author_image] [author_info]Kavitha is a freelance content writer and French translator, and has been working in this field since 2008. She has degrees in computer applications and international business and has a background in business and international trade. She enjoys learning languages and is currently learning Japanese. Her interests vary from books and writing to travelling and history.[/author_info] [/author]