सार तत्व यह है कि कोई भी पुस्तक श्रृंखला उपन्यासों की एक लड़ी को अभिव्यक्त करती है जो एक ही जगत में रहने वाले पात्रों के एक समुच्चय के गिर्द परिक्रमा करते हैं। पात्रों और कहानी कि दुनिया घटनाओं की एक श्रृंखला के द्वारा युक्त है, जिन्हें जब एक साथ बाँध दिया जाता है, तब सभी एक कथानक के गिर्द घूमते हैं। किसी श्रृंखला को लिखना, जितना सुनाई देता है उससे कहीं अधिक कठिन है—विशेषतः इसलिए कि आपको प्रत्येक विवरण, समायोजन, और पात्र पर ध्यान देना पड़ता है। परंतु यह असंभव नहीं है – गत दशक में अधिक से अधिक पुस्तक श्रृंखलाएँ सामने आ रही हैं, युवा वयस्क विधा, से ले कर शहरी कपोल-कल्पना और जासूसी कहानियाँ। श्रृंखला लिखने की यात्रा आरंभ करने से पहले स्मरण रखने के लिए कुछ मुख्य चीजें हैं, वह चीजें, जो आपके लेखन प्रकिया को सरल करने में सहायता करेंगी।
1. एक श्रृंखला बाइबल की सृष्टि करें
सुनिश्चित कीजिए कि आप अपनी कहानी की दुनिया के संबंध में प्रत्येक महत्वपूर्ण विवरण को लिख लेते हैं। यह निश्चित है कि आप नहीं भूलेंगे कि आपकी नायिका सुनहले केशों वाली, नीली आँखों वाली बीस वर्ष से कुछ ही ऊपर की स्त्री है, परंतु आप दूसरे क्रम के और गौण पात्रों को इधर-उधर करने से बचना चाहेंगे। कहानी की दुनिया के लिए भी यही है – घर, भवन, वन या अरण्य, उनके बीच की दूरियाँ, या आप के पात्र यातायात कैसे करते हैं। यह विवरण आपको कहानी को व्यवस्थित करने में सहायता करेंगे, और आपकी भविष्य की पुस्तक के लिए संसाधन बन जाएँगे।
2. सही प्रकार के नायक का सृजन कीजिए
पुस्तक श्रृंखला लिखते समय, नायक का चरित्र और उसके अंतर्द्व्न्द्व कथानक को निर्धारित कर सकते हैं, और, चरित्र कथानक के लिए उपयुक्त नहीं भी हो सकता है। उदाहरण के लिए, जासूसी कहानियाँ साधारणतः मुख्य पात्र के गिर्द घूमती हैं : जिसकी उस भूमिका के लिए सही तरह की पृष्ठभूमि होती है, जिसे वह उपन्यास में निभाता है। वह एक ऐसा पात्र है जो अपने अंतर्द्व्न्द्व के साथ युक्त कुछ सूक्ष्म परिवर्तनों को झेलता है (जो दूसरे क्रम का कथानक है, वहीँ मुख्य कथानक उस रहस्य के गिर्द घूमता है जिसे नायक सुलझाने के लिए प्रयास कर रहा है)। दूसरी ओर, रोमांस कहानियाँ व्यक्तिगत द्वन्द्वों को वशीभूत करते हुए प्रेम में पड़ते हुए दो व्यक्तियों के गिर्द घूमती हैं। यही कारण हैं कि आपको सुनिश्चित करना पड़ता है कि आप जिस कहानी को लिख रहे हैं उसके लिए सही तरह के नायक की सृष्टि करें।
3. अकेले चल सके वाली पुस्तकों की रचना करें
आपकी श्रृंखला की पुस्तकों को अकेले चल सकने वाली पुस्तकें विचार किए जाने के योग्य होना चाहिए। उदाहरण के लिए, त्रयियों में, दूसरी पुस्तक बहुधा बुनियाद रखने वाली (पहली पुस्तक) और समाधान (पुस्तक संख्या तीन) के बीच एक “पूरक पुस्तक” के रूप में व्यथा झेलती है। पूरक पुस्तकों की सृष्टि करने से बचिए जो किसी द्व्न्द्व के समाधान, या आपकी श्रृंखला के किसी मुख्य कथानक बिंदु के गिर्द नहीं घूमती। इसके अतिरिक्त, कई पाठक आपकी श्रृंखला अनुवर्ती पुस्तकों को पढ़ते हुए आरंभ कर सकते हैं। इसका अर्थ है कि प्रथम पुस्तक की घटनाएँ द्वितीय, तृतीय, इत्यादि पुस्तकों के लिए पृष्ठ-कथा बन जाएँगी। इसका अर्थ यह नहीं है कि आप किसी अधिक महत्वाकांक्षी कथानक की सृष्टि नहीं कर सकते, परंतु यह है कि आपको इसे कई मुख्य बिंदुओं में विभाजित कर देना चाहिए जिनका समाधान प्रत्येक पुस्तक के अंत में किया जाएगा। यह आपको घटना-क्रम-रोधक रोचक परिस्थितियों से बचने का अवसर भी देगा जो अक्सर श्रृंखला को भारी क्षति पहुँचाती हैं। घटनाओं के कारण और प्रभाव तर्क का अनुसरण करने के बदले, यह घटना-क्रम को रोक देता है, और अगली पुस्तक के लिए अनिश्चय और रोमांच जोड़ने में सहायता नहीं करता।
4. सुसंगत बनें
अपनी दुनिया में नियमों को कभी भी नहीं बदलिए, और यदि आपके पात्रों में बड़े भावनात्मक परिवर्तन हो जाएँ, तब इसे सुनिश्चित करें कि आप अपने पाठकों को दर्शाते हैं कि कौन सी घटनाएँ इस बड़े परिवर्तन का कारण बनी थीं। किसी श्रृंखला को लिखते समय सुसंगत होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि पुस्तक संख्या पाँच तक आपका नायक लगभग कठिनाई से पहचानने योग्य रह जाता है, तब आप बहुत सारे अनुयायियों को खो देंगे। जहाँ अचल पात्रों की सृष्टि करना और नए समायोजनों तथा स्थानों के साथ कहानी की दुनिया को तरोताज़ा रखना महत्वपूर्ण है, वहीं पात्रों के विकास को स्वाभाविक रखना, और अपनी दुनिया के नियमों को सुसंगत रखना परम महत्वपूर्ण है।
5. deus-ex-machina के फंदे से बचें
Deus-ex-machina एक पद है जिसमें कोई दैवी शक्ति हस्तक्षेप करती है और कथा-साहित्य कृति में पात्र की समस्याओं का समाधान कर देती है। यह एक समाधान है जो केवल इसलिए होता है क्योंकि लेखक ने इसे निश्चित किया है। किसी फंदे में पड़ना अत्यंत आसान है, विशेषतः जब आप पाठक को यह दर्शाने का प्रबंध नहीं करते कि जिस समाधान के साथ नायक आया है वह तर्कपूर्ण है तथा इसकी ओर ले जाने वाले कारण और प्रभाव घटनाओं की एक श्रृंखला का परिणाम है। इसलिए पुस्तक की पूर्व-योजना सहायक होती है – क्योंकि आप पुस्तक संख्या एक में बीजों का रोपण नहीं कर सकते, जो पुस्तक संख्या तीन में (या बाद में) अंकुरित होंगे और वह समाधान बन जाएँगें जिनकी आपको आवश्यकता है।
Image credit: Edward Langley on flickr and reproduced under Creative Commons 2.0[author] [author_image timthumb=’on’]https://writingtipsoasis.com/wp-content/uploads/2014/12/photo.jpg[/author_image] [author_info]Georgina Roy wants to live in a world filled with magic.
As a 22-year-old art student, she’s moonlighting as a writer and is content to fill notebooks and sketchbooks with magical creatures and amazing new worlds. When she is not at school, or scribbling away in a notebook, you can usually find her curled up, reading a good urban fantasy novel, or writing on her laptop, trying to create her own.
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