भय एक ऐसी चीज है जिससे जीवन के किसी न किसी बिंदु पर हम सभी का सामना होता है। जब बात वृत्तियों की आती है, तब कई भयों का अनुभव होता है, विशेषतः इसलिए कि हमारा कार्य हमारे धन अर्जित करने की क्षमता और जीवन शैली को बनाए रखने के साथ जटिलता से उलझा हुआ है। लेखक अलग नहीं हैं और वे भी भयों का सामना कर सकते हैं। परंतु भय के साथ एक चीज है कि उन्हें युक्तिसंगत सोच और परिप्रेक्ष्य के साथ, और इसके साथ-साथ जो चीजें हमें भयभीत करती हैं उहें घटित होने से रोकने के लिए बड़ी तैयारियों के साथ उन पर काबू पाया जा सकता है। नीचे, कुछ बड़े भयों को सूचीबद्ध किया गया है जिन्हें सभी सफल लेखकों को वशीभूत करना चाहिए।
1. यह भय कि कोई भी आपकी पुस्तक नहीं पढ़ेगा
यह सबसे बड़ा भय है जिसका लेखकों को सामना करना पड़ता है, और संभवतः प्रत्येक एकल लेखक को अपनी वृत्ति के आरंभ में इसका सामना करना पड़ा था। परंतु यदि आप लिखना चाहते हैं, तो लिखना चाहते हैं। पहले इसे अपने लिए कीजिए, और पाठक आएँगे। आपकी पुस्तक के अच्छा नहीं करने की संभावना सर्वदा बनी रहेगी, परंतु इसके संयोगों को न्यूनतम करने के लिए आप कुछ चीजें कर सकते हैं। प्रोफेशनल और सुसंपादित पुस्तक निकालिए, अन्य लेखकों और पाठकों के साथ एक लेखक की छवि का निर्माण कीजिए जिससे पाठक जुड़ सकें। परंतु सबसे महत्वपूर्ण यह है कि उस पुस्तक को बाज़ार में रखिए। जब तक पुस्तक लोगों को पढ़ने के लिए उपलब्ध नहीं है तब तक कोई उपाय नहीं है जिससे जाना जा सके कि वे उस पुस्तक उसे पढ़ेंगे या नहीं।
2. दरिद्र होने का भय
यह एक वैध और अत्यंत व्यवहारिक भय है जिसका सामना अधिकांश लेखक तब करते हैं जब वे लिखने के लिए अपनी पूर्णकालिक नौकरियों को छोड़ते हैं। यदि आपकी पुस्तक उतना अच्छा नहीं करती जितना आप सोचते हैं कि इसे करना चाहिए, तब आप गंभीर आर्थिक समस्याओं का सामना कर सकते हैं। इस भय से निपटने के लिए एक ही उपाय है भविष्य के लिए प्रावधान रखना। जब आप नौकरी कर रहे हों तभी से अंशकालिक लेखन आरंभ कर दीजिए। यदि संभव हो सके, अपनी बचतों को अलग रख छोड़िए जिससे जब तक आप पुस्तक समाप्त न कर लें आप काम से अवकाश ले सकें। अनावश्यक व्ययों में कटौती करना सीखिए और प्रतिदिन अधिक लिखिए। जितनी जल्दी आप समाप्त करेंगे, उतनी ही जल्दी आप पुस्तकों का विक्रय कर सकते हैं और धन अर्जित कर सकते हैं।
3. आलोचना का भय
अपनी कृति के छिद्रान्वेषण से भयभीत होना स्वाभाविक है, और विशेष रूप से ऐसा है यदि आप एक लेखक हैं। एक अत्यंत वास्तविक डर होता है कि कोई आगे आएगा और आपके परिश्रम से किए गए कार्य की बखिया-उधेड़ करेगा। यह स्वाभाविक है, परंतु आपको वास्तव में इसे वशीभूत करना पड़ेगा। आलोचना का मूल्यांकन करना सीखिए क्योंकि यह आपको केवल सुधार करने में सहायता करेगा। यदि पाठक और मित्र सुझावों के साथ आपके पास आते हैं या आपकी गलतियों को इंगित करते हैं, यह इसलिए है कि वह सोचते हैं कि आप सुधार कर सकते हैं, इसलिए नहीं कि वे आपसे घृणा करते हैं। अपनी कृति से अपने-आप को और अपनी पहचान को अलग करना सीखिए। जब लोग आपकी कृति को नापसंद करते हैं, इसका अर्थ यह नहीं है कि वे आपको नापसंद करते हैं। इन आलोचनाओं को लिख लीजिए और इन पर कार्य कीजिए, और अगली बार आप बहुत बेहतर करेंगे।
4. घटिया लेखक होने का भय
बहुत से व्यक्ति इस भय का सामना करते हैं क्योंकि उन्हें कोई भी भनक नहीं है कि एक अच्छा लेखक होने के लिए क्या चाहिए। आप एक महान लेखक या केवल एक अच्छा लेखक नहीं भी हो सकते हैं, परंतु यह सुनिश्चित करने के लिए उपाय हैं कि कहीं आप एक घटिया लेखक नहीं बन जाएँ। अपने वाक्यों की संरचना सरल रखें, सुनिश्चित करें कि आप जो लिख रहे हैं वह बोधगम्य है। व्याकरण और विरामचिह्नन की त्रुटियों पर सावधानी बरतें, और अंत में परंतु सबसे आवश्यक यह है कि एक कहानी-चाप रखें जो किसी दिशा में जाती हो। यह अत्यंत आधारभूत लेखन नियम हैं जिनमे यदि एक बार आप निपुण हो जाएँ, तब आप यह सीखने के लिए आगे बढ़ सकते हैं कि चरित्रों का विकास कैसे किया जाए, पृष्ठभूमि को कैसे व्यवस्थित किया जाए। अन्य किसी भी चीज की तरह लिखना सीखना पड़ता है, और आप इसे केवल लिखते हुए ही कर सकते हैं!
5. क्या लिखें इसे नहीं जानने का भय
यदि आप वास्तव में नहीं जानते कि क्या लिखना है, तब कदाचित आप गलत वृत्ति पर विचार कर रहे हैं। लेखक कथा-वाचक हैं और सर्वदा उनके पास कोई धूमिल अवधारणा रहती है कि क्या कहना है। इन कहानियों को विकसित करना एक वास्तविक चुनौती होनी चाहिए। अपने अंदर झांकिए और ढूँढ़ निकालिए कि आप दुनिया के सामने कौन सी कहानियाँ लाना चाहते हैं। यदि वे नादान या अरोचक सुनाई देती हैं तब चिंता नहीं करें। यदि आप उन्हें अच्छी तरह से लिखते हैं तब अत्यंत सामान्य कहानियों को भी पाठक मिल जाते हैं। जब तक आप अपने विकल्पों की खोज नहीं करते हैं तब तक आप कभी भी नहीं जान सकते कि आप के पास कहने के योग्य कोई कहानी है।
Image credit: Pixabay
[author] [author_image timthumb=’on’]https://writingtipsoasis.com/wp-content/uploads/2015/02/IMG_20141217_101736441.jpg[/author_image] [author_info]Kavitha is a freelance content writer and French translator, and has been working in this field since 2008. She has degrees in computer applications and international business and has a background in business and international trade. She enjoys learning languages and is currently learning Japanese. Her interests vary from books and writing to travelling and history.[/author_info] [/author]